सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को दी चेतावनी

नईदिल्ली। इन दिनों भारत में मोदी सरकार से नाराज वर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है। राजनैतिक दलों के अलावा कई संस्थान मोदी सरकार की नीतियों से परेशान हैं और अब इसमें सुप्रीम कोर्ट का नाम भी जुड़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के रवैये पर गंभीर टिप्पणी की है। आरोप लगाया गया है कि मोदी सरकार भारत में न्यायिक कार्यों का गला घोंटने का प्रयास कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को चेतावनी दी है कि न्याय संस्थानों को बाधित करने की कोशिश ना करें। 

जजों की कमी और खाली पदों को भरने में देरी के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर सरकार पर जमकर बरसे। उन्‍होंने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा, 'जजों की नियुक्ति में रूकावट हम बर्दाश्‍त नहीं करेंगे। इससे न्‍यायिक कार्यों का गला घोंटा जा रहा है। अब हम जिम्‍मेदारी में तेजी लाएंगे। ऐसा अविश्‍वास क्‍यों? यदि यह रूकावट जारी रही तो हमें न्यायिक रूप से दखल देने को मजबूर होना पड़ेगा। हम कॉलेजियम की ओर से आपको भेजी गई सभी फाइलों की जानकारी लेंगे।”

सुप्रीम कोर्ट ने दी चेतावनी
चीफ जस्टिस ने कहा, ”इस संस्‍थान को रोकने की कोशिश मत करो।” जस्टिस ठाकुर सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम के प्रमुख हैं। उनकी अध्‍यक्षता वाली बैंच ने अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में समन किया था। इस केस की सुनवाई से ठीक पहले कोर्ट ने सड़क सुरक्षा से जुड़ी एक याचिका पर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस के साथ ही इस बैंच में जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। बैंच ने आगे कहा, ”हम मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर पर काम कर रहे हैं लेकिन सब कुछ अधूरा नहीं छोड़ा जा सकता। आप देखिए, इसके कारण कोर्ट का काम प्रभावित हो रहा है। हम यह सब नहीं चाहते।”

क्यों अटका रखीं हैं फाइलें
बैंच ने आगे कहा कि आठ महीने में कॉलेजियम की ओर से 75 नामों की सिफारिश की गई है लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। सुनवाई के दौरान कहा, ”मुख्‍य न्‍यायाधीशों की नियुक्ति भी बकाया पड़ीं है। जजों के ट्रांसफर बाकी है। बताइए, प्रस्‍ताव कहां अटका पड़ा है? वे फाइलें कहां है? हमें जिम्‍मेदारी तय करनी होगी। हम यह सब नहीं चाहते। यह रूकावट ठीक नहीं। अगर सरकार को किसी नाम से समस्‍या है तो वह फाइल वापस हमें भेज दीजिए।” मुख्‍य न्‍यायाधीश ने कहा कि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में उसकी वास्‍तविक क्षमता का केवल 40 फीसदी काम हो रहा है। वहां पर मामलों की संख्‍या बढ़ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में 10 लाख केस पेडिंग हैं। बाकी जगहों पर भी यही समस्‍या है।

सरकार ने 4 सप्ताह का समय मांगा
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जवाब देते हुए कहा कि वह मामले को ऊंचे स्‍तर पर उठाएंगे। उन्‍होंने अपील करते हुए कहा कि जनहित याचिका पर कोई नोटिस जारी न किया जाए और जवाब देने के लिए चार सप्‍ताह का समय मांगा। कोर्ट ने उनकी अपील मान ली। गौरतलब है कि शुक्रवार को ही सरकार ने राज्‍य सभा में बताया कि 24 हाई कोर्ट में 478 पद खाली पड़े हैं और वहां पर 39 लाख केस बकाया हैं।

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