
मामला सतना जिले के मैहर शहर से करीब 8 किमी दूर इटमा गांव का है। यहां नीलू पुत्री स्व. प्यारेलाल चौधरी उम्र 18 वर्ष का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया। इस परिवार में 8 और 14 साल के दो छोटे भाई व माता शेष है। पिता की मौत कई साल पहले हो चुकी है। परिवार के पास लड़की के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी खरीदने को पैसे नहीं थे। अत: युवती को सड़क किनारे ही दफना दिया गया। उसका अंतिम संस्कार नहीं किया गया।
यह मामला उन तमाम दलित नेताओं को शर्मसार करने वाला है जो दलित उत्थान के दावे करते हैं। यह मामला उस दलित समाज को भी शर्मसार करने वाला है जो आरक्षण के लिए तो एकजुट हो जाता है परंतु अपने समाज की एक निर्धन युवती के अंतिम संस्कार के लिए 100-100 रुपए का चंदा नहीं किया।
बात का बतंगड़ बना दिया
इस मामले को राजनैतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस गांव के दबंग विनोद पटेल श्मशान घाट पर कब्जा करके पिछले 7-8 साल से खेती कर रहा है। लिहाजा लड़की को सड़क किनारे दफनाना पड़ा। गांववालों के मुताबिक, पिछले साल गांव के रामलाल नामक व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने जब लोग श्मशान घाट पहुंचे, तब उनके साथ मारपीट की गई थी। सरपंच प्रवीण कुमार पटेल के मुताबिक, कुछ दिनों पहले जांच के लिए एसडीएम पहुंचे थे, लेकिन कब्जाधारियों ने पट्टे का अभिलेख प्रस्तुत कर उन्हें लौटने पर विवश कर दिया। अब शासकीय जमीन तलाशी जा रही है।