
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘आसाराम के समर्थकों को संभालना हमारे लिए सिरदर्द बन चुका है। उन्हें आसाराम से दूर रखने के लिए हमें बड़ी संख्या में पुलिस बल लगाना पड़ता है। कानून-व्यवस्था को कायम रखने के लिए कई बार हमें उन्हें ले जाकर शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ना पड़ता है।
पिछले साल भी इन्हीं वजहों से मामले की सुनवाई को जेल की अदालत में करवाने का आदेश मिला था लेकिन उच्च न्यायालय प्रशासन के इस आदेश को आसाराम ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी लेकिन मामले की अदालत परिसर में सुनवाई की इजाजत इस शर्त पर दी गई थी कि आसाराम मीडिया में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और अपने समर्थकों से अदालत परिसर और जेल से अदालत तक के रास्ते में हंगामा नहीं करने की अपील करेंगे।
अधिकारी ने बताया कि आसाराम के अनुयायी ‘अपनी जान को जोखिम में डालकर कई बार वाहन के इतने करीब आ जाते हैं कि दुर्घटना हो सकती है।’ उन्होंने बताया, ‘सुनवाई जेल की अदालत में होती है तो इससे आसाराम की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी क्योंकि वे अपने विरोधियों का निशाना भी बन सकते हैं।’ एक किशोरवय लड़की ने आरोप लगाया था कि स्वयंभू संत आसाराम ने जोधपुर के निकट मनाई गांव में अपने आश्रम में उसका यौन उत्पीड़न किया है। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली लड़की आश्रम में छात्रा थी। उसकी शिकायत के बाद जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त 2013 को आसाराम को गिरफ्तार कर लिया था, वे तभी से जेल में हैं।