सेक्सुअल फेवर और अनुचित लाभ अब भ्रष्टाचार की श्रेणी में | भ्रष्टाचार की नई परिभाषा

नई दिल्ली। एक संसदीय कमेटी द्वारा भ्रष्टाचार पर प्रस्तावित कानून में "सेक्सुअल फेवर" (यौन संबंध की मांग) को भी भ्रष्टाचार मानने का प्रस्ताव किया गया है। ऐसा करने पर संबंधित व्यक्ति को दंडित किया जा सकेगा।

भ्रष्टाचार रोधी नए विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में राज्यसभा की प्रवर समिति ने विधि आयोग की सिफारिशों का अनुमोदन किया है। इसके साथ ही "अनुचित लाभ" को भी प्रस्तावित कानून में शामिल करने का सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि प्रस्तावित कानून में ऐसा संशोधन किया जाए, जिससे "सेक्सुअल फेवर" समेत किसी भी तरह की संतुष्टि को भ्रष्टाचार माना जाए।

संसदीय समिति ने पहली बार निजी क्षेत्र के भ्रष्टाचार को भी इस कानून के दायरे में लाने की सिफारिश की है। इसके तहत कॉरपोरेट और उनके कार्यकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार को अपराध माना जाएगा। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कार्रवाई हो सकेगी। दोषी पाए जाने पर उन्हें अधिकतम सात साल की जेल और जुर्माने की सजा हो सकेगी।

इसके अलावा संसदीय समिति ने रिश्वत देने वालों को भी सजा देने की सिफारिश की है। समिति को इस बात की भी आशंका है कि एजेंसियों की ओर से नए कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है और लोक सेवकों को परेशान किया जा सकता है। इसके मद्देनजर समिति ने पर्याप्त सावधानी बरतने का सुझाव भी दिया है।
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