
यह सुविधा ईपीएफ व ईपीएस के उन सदस्यों को मिलेगी, जो 58 वर्ष की आयु के बाद भी एक या दो साल तक (59 या 60 वर्ष की आयु) अपनी पेंशन नहीं निकालेंगे। एक वर्ष की देरी से पेंशन निकालने पर मूल पेंशन में 4 प्रतिशत, जबकि दो वर्ष की देरी से निकालने पर मूल पेंशन में 8.16 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
यह लाभ 58 वर्ष की आयु के बाद योगदान करने या न करने दोनों ही स्थितियों में मिलेगा। योगदान की स्थिति में 58 वर्ष के बाद के सेवाकाल तथा वेतन को भी गणना में शामिल किया जाएगा। हालांकि पेंशन की पात्रता तय करने में (यानी कम से कम 10 वर्ष का सेवाकाल) इस अतिरिक्त सेवा अवधि को शामिल नहीं किया जाएगा।
नियोक्ता के हस्ताक्षर बिना ईपीएफईपीएफ के त्वरित भुगतान के लिए भी कुछ सुधार किए गए हैं। जिन सदस्यों का यूएएन (यूनिक अकाउंट नंबर) जारी हो चुका है, उनके लिए 10-डी-यूएएन नाम से एक सरल फार्म शुरूकिया गया है।
जिन सदस्यों का आधार नंबर और बैंक विवरण यूएएन के साथ संबद्ध हो चुके हैं, और जिनकी नियोक्ता द्वारा डिजिटल सिग्नेचर एवं कर्मचारी के विवरण के जरिए नियमानुसार पुष्टि की जा चुकी है, वे सदस्य क्लेम के लिए फार्म11 का प्रयोग कर सकते हैं। कर्मचारी ईपीएफओ कार्यालय में सीधे फार्म जमा कर सकते हैं, उन्हें नियोक्ता से हस्ताक्षर कराने की जरूरत नहीं है।
अगस्त के वेतन के साथ कर्मचारियों को एरियर दे सकती है सरकार
केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को इस माह के वेतन के साथ एरियर का भुगतान कर सकती है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किए जाने के बाद कर्मचारियों को एरियर का भुगतान किया जाना है। सरकार ने पिछले माह कहा था कि वह अगस्त के वेतन के साथ कर्मचारियों को बकाए का भुगतान कर देगी। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को एक बयान में कहा कि जनवरी से जुलाई तक का एरियर और अगस्त का वेतन मिलाकर सरकार को 34,600 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ेगा।