हादसे में मारे गए हिन्दुओं को सरकार ने लकड़ियां तक नहीं दीं, 10 शव दफनाए गए

भोपाल। यूं तो मप्र में हिन्दू हितों की बात करने वाली भाजपा सरकार है। सड़क हादसों की जिम्मेदारी भी सरकार की होती है, लेकिन डिंडोरी के पास हुए एक भीषण सड़क हादसे में सरकार ने शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां तक नहीं दीं। आर्थिक तंगी से जूझते हिन्दू परिवार के 10 शवों को दफनाया गया। सरकार ने मृतकों के परिजनों को सिर्फ 50 किलो अनाज देने का वादा किया है। यही हादसा यदि किसी दलित परिवार या उपचुनाव क्षेत्र शहडोल में हुआ होता तो शायद शिवराज सिंह खुद शामिल होने पहुंच जाते। 

गुरुवार को डिंडोरी के पास शहपुरा रोड पर बस और बोलेरो में हुई आमने-सामने की भिड़ंत में एक ही परिवार के दस लोगों की मौत हो गई थी। पतिकोना पंचायत के सरपंच का पूरा परिवार रक्षाबंधन की सावनी लेकर बोलेरो से बेटे की ससुराल पिपरिया जा रहा था। हादसे के वक्त गाड़ी में 12 लोग सवार थे। हादसे में आठ लोगों ने मौके पर ही, जबकि दो ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया था। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बोलेरो के परखच्चे उड़ गए थे। कई घंटे की मशक्कत के बाद बोलेरो में फंसे घायलों और शवों को निकाला जा सका था।

एक साथ उठी दस अर्थियां
हादसे के बाद से ही पूरे गांव में मातम पसरा है। गांव के एक भी घरों में चूल्हा तक नहीं जला। शुक्रवार को जब एक ही घर से दस अर्थियां एक साथ उठी, तो ग्रामिणों की आंखें नम हो गई। कुछ दिनों पहले तक जिस घर में जश्न का माहौल था, वहां अचानक से मातम पसर गया। पीडि़त परिवार के सदस्य मनोहर सिंह ने बताया कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। बड़ी घटना के बावजूद मंडला, डिंडोरी और जबलपुर से कोई भी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा।

लकडिय़ां नहीं मिली तो एक साथ दफनाए गए दस शव
शुक्रवार सुबह से ही मृतकों के अंतिम संस्कार की क्रिया के लिए लकड़ी जुटाने के प्रयास किए गए, लेकिन लकड़ी का इंतजाम नहीं हो पाया। दर्दनाक बड़े हादसे के बावजूद पीडि़त परिवार को कोई भी प्रशासनिक मदद नहीं मिली। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण परिवार के अन्य सदस्य अंतिम संस्कार की व्यवस्था नहीं कर पाए। ग्रामीणों के प्रयास के बावजूद चिता जलाने के लिए लकड़ी नहीं जुट पाई। जिसके बाद परिजनों एवं ग्रामीणों ने सभी शवों को दफनाने का फैसला लिया। सभी शवों को गांव से बाहर एक साथ दफना दिया गया।

सरकार ने सिर्फ 50 किलो अनाज का वादा किया
उधर, प्रशासन ने भी मदद के नाम पर खानापूर्ति की है। गांव देवहरा कुण्डम के एसडीएम रिषी पवार, तहसीलदार एसएस धुर्वे समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे लेकिन परिवार को शासन से कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई। अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को 50 किलो अनाज देने की बात कही है जो परिवारों के लिए नाकाफी है।
बताया गया कि पवन का विवाह 2016 में ही पिपरिया में हुआ था। सावनी (राखी की एक रस्म) लेकर जाते समय पवन के पिता बालचंद, बड़े पिता दानसिंह, मां रमली बाई और पत्नी बबीता जीप में सवार थे। हादसे में इन पांच सदस्यों सहित पांच अन्य सदस्यों की भी मौत हो गई है।

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