
जानकारी के अनुसार, आमला रेल्वे स्टेशन पर कैंटीन संचालित करने वाले ठेकेदार उमेश परमार से जीआरपी टीआई रणसिंह भदौरिया ने हर महीने 10 हजार रुपये देने की मांग की थी। इसके बदले टीआई ने कैंटीन संचालक उमेश को कोई भी अवैध काम करने की छूट देने का भी वादा किया था।
उमेश के मना करने पर टीआई ने उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया, जिससे परेशान होकर उमेश ने भोपाल लोकायुक्त से इसकी शिकायत की। योजना के मुताबिक, कैंटीन संचालक उमेश ने टीआई को 7 हजार रुपये देने की पेशकश की। जिसके लिए टीआई राजी हो गया था। रविवार शाम को उमेश उसे रुपये दे रहा था, तभी लोकायुक्त की टीम ने टीआई रणसिंह को रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया।