
अपीलकर्ता और वन समिति के सभापति परमानंद जायसवाल ने जानकारी मांगी थी कि सागौन के पेड़ की काटी गई लकड़ी वन विभाग के डिपो में क्यों नहीं पहुंची। वन विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने अपीलकर्ता को जानकारी देने से इंकार कर दिया। उनका तर्क था कि अपीलकर्ता वन समिति का सभापति है इसलिए यह जानकारी नहीं दी जा सकती। इसके बाद लोक अपीलीय अधिकारी ने लोक सूचना अधिकारी के तर्क को मान्यता देते हुए आवेदन खारिज कर दिया था। इसके बाद अपीलार्थी ने आयोग में अपील की।
आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि अपीलार्थी ने वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी, जिसका उपयोग लोकहित में था। वहीं वन समिति, संस्था का संबंध विभाग से होने की वजह से जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आती है, इसलिए विभाग जानकारी देने से इंकार नहीं कर सकता।