
दस साल पहले केंद्र सरकार ने छठवां वेतनमान लागू किया था। मप्र में यह तीन साल बाद इसकी इसकी घोषणा की गई थी, लेकिन कर्मचारियों को दिया 2006 से ही था। कई कर्मचारी संगठन इसमें आज भी ग्रेड पे समेत कई विसंगतियां गिना रहे हैं। इन संगठनों का तर्क है कि पहले सरकार छठवें वेतनमान की विसंगति दूर करे। उसके बाद ही सातवां वेतनमान लागू किया जाए।
मप्र कर्मचारी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि छठवे वेतनमान में एक नहीं कई विसंगतियां हैं। मप्र अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक भुवनेश पटेल का कहना है कि विसंगतियों से अधिकारियों व कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।