सामान्य ज्ञान भाग 36: भारत पाकिस्तान युद्ध

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6 फरवरी 1954 को कश्मीर की बिधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू कश्मीर राज्य का विलय भारत में करने की सहमति प्रदान की। भारत सरकार ने 14 मई 1954 को संबिधान में संशोधन कर अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत तम्मू कश्मीर को बिशेष दर्जा प्रदान किया। 26 जनवरी 1957 को जम्मू कश्मीर का संबिधान लागू हो गया। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर भारतीय संघ का एक अभिन्न अंग बन गया।

इसके बाद पाकिस्तान निरन्तर कश्मीर का प्रश्न उठाकर वहॉ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का प्रयास करता आ  रहा है। पाकिस्तान ने इस मामले को सुरक्षा परिषद में उठाकर जनमत संग्रह की मॉग की। पाकिस्तान को इस प्रश्न पर अमेरिका , ब्रिटेन, और फ्रांस, का समर्थन प्राप्त रहा। परन्तु भारत ने इसका विरोध किया। भारत की मित्रता सोवियत,संघ के साथ थी। अतः सोवियत संघ ने विशेषाधिकार का प्रयोग कर मामले को ठण्डा किया।

1962 में पाकिस्तान ने कश्मीर में पुनः जनमत संग्रह की माँग उठायी। परन्तु पुनः सोवियत संघ ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग किया।
पाकिस्तान में जितनी सरकारे आयी है। वे कश्मीर के प्रश्न को जीवंत रखने का प्रयास करती है। जबकि भारत के लिये। यह प्रश्न उसकी अखण्डता एवं सममान का प्रश्न है।

युद्ध में पाकिस्तान की पराजय के कारण  1971 का युद्ध भारत और पाकिस्तान के मध्य चौदह दिन तक चला। पाकिस्तान के लिये यह युद्ध बडा महगा सिद्ध हुआ। उसे अपने देश के एक विशाल अंग पूर्वी पाकिस्तान से हाथ धोना पडा पूर्वी पाकिस्तान अब बंगला देश के रूप् में एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका था।

1- पाकिस्तान सैनिक दृष्टि से भारत से कमजोर था।
2-पाकिस्तान का नैतिक बल दुर्बल था। पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान के साथ जो भेदभाव नीति अपनायी थी। उसके परिणामस्वरूप वहॉ जन आन्दोलन आरम्भ हुआ। बंगला देश की निर्माण में बंगाली जनता प्राण पण से अपनी स्वतन्त्रता के लिये लड रही थी।
3- पाकिस्तान की सैनिक तानाशाही प्रजातन्त्रीकरण की प्रक्रिया की उपेक्षा कर रही थी। यह उपेक्षा उसे भारी पडी।
4-पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के मध्य दूरी के कारण पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान तक सहजता से नही पहॅच सकता था। समुद्री मार्ग की भारतीय नौसेना ने घेराबंदी कर ली थी। अतः उसकी सेना को आपूर्ति बन्द हो गयी।
5-पाकिस्तान के अत्याचारो से पीडित होकर लाखो की संख्या में शरणार्थ भारत आये। इस कारण भारत को पाकिस्तान के मामले में हस्तक्षेप का मौका मिला।

सामान्य ज्ञान भाग 37 युद्ध का आरम्भ 
युद्ध का आरम्भ कच्छ का प्रश्न हल हुआ ही था पुनः कश्मीर में पाकिस्तान ने कार्यबाही आरम्भ कर दी। पाकिस्तान बर्षो से सैनिको को छामामार युद्ध का प्रशिक्षण देने के लिये। चीन भेज रहा था। और इस प्रकार आक्रमण की तैयारी कर रहा था।
4 अगस्त 1965 को हजारो पाकिस्तानी छापामार कश्मीर में घुस गये। पाकिस्तानी रेडियो ने यह दावा किया कि कश्मीर में विंद्रोह हो गया है। वस्तुतः पाकिस्तानी छापामारो (मुजाहिदों ) ने ही उपद्रव आरम्भ किया था। सूचना प्राप्त होते ही भारतीय सेना ने कार्यबाही आरम्भ की। सैकडो छापामारो को पकड लिया गया था। या मार डाला गया था। 
पाकिस्तान पहले से तैयार बैठा था, अतः उसने छापामारो को दूसरा दस्ता कश्मीर भेजा। इन परिस्थितियो में  भारत सरकार ने उन क्षेत्रो की पहचान करायी जहॉ छापामार घुसपैठ होती है। अधिकार करना आरम्भ किया। कारगिल, टीथवाल, डेरी, पूंजी, हाजीपीर, दर्रा, आदि क्षेत्रो  पर भारतीय सेना ने अधिकार किया। परिणाम यह हुआ। कि घुसपैठियो के रास्ते बंद हो गये। 
संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारी जो युद्ध विराम रेखा पर पहरा दे रहे थे। इन घटनाओ की सूचना संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को दी। महासचिव ने दोनो पक्षो को संयम से काम लेने को कहा परन्तु कोई परिणाम नही निकला।
भारत में घुसपैठियो को रोकने के लिये, 25 अगस्त 1965 से दोनो पक्षो की सेनाओ में सीधी लडाई आरम्भ हुई। छम्ब जूरिया,क्षेत्रो से पाकिस्तान आसानी से आक्रमण कर सकता था। अतः पाकिस्तानी सेनाओ ने आक्रमण किया। और अखनूर पर अधिकार किया। पाकिस्तान ने वायुसेना से अमृतसर पर भी हमला किया। अतः भारतीय सेनाओ ने पाकिस्तानी सेना के दबाव को कम करने के लिये। पाकिस्तान के पंजाब प्रदेश पर तीन तरफ से आक्रमण किया भारतीय सेनाएॅ लाहौर की ओर बढी।
यह एक ऐसा अघेषित युद्ध हुआ था। जिसमें दोनो पक्ष पूर्वी सीमांत पर पूरी शक्ति के साथ लडे।
युद्ध विराम 23 सितंम्बर 1965 को संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप से युद्धविराम हुआ। भारतीय सेना युद्ध विराम के समय तक पाकिस्तान के 740 वर्ग मील क्षेत्र पर अधिकार कर चुकी थी। और पाकिस्तान के कब्जे में 240 वर्गमील के लगभग भारतीय क्षेत्र था।
1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारत विजयी हुआ था। जिसके निम्न कारण थे।
1,पाकिस्तान कश्मीर समास्या का समाधन शस्त्र द्रारा करना चाहता था। और उसने युद्ध का मार्ग अपनाया।
2,पाकिस्तान का विश्वास था। कि कश्मीर की मुस्लिम जनता उसका साथ देगी। परन्तु ऐसा नही हुआ। भारत ने यह सिद्ध किया कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता का आधर अत्यंत ठोस है।
3,युद्ध के दौरान भारतीय नागरिको तथा सैनिको का मनोबल ऊँचा रहा। भारतीय सेना के अधिकॉश हथियार स्वदेशी थे।
4,पाकिस्तान को विश्वास था। कि संकट के अवसर पर चीन उसका साथ देगा परन्तु उसका यह भ्रम टूट गया।
5,भारत पाकिस्तान के युद्ध में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका महत्वपूर्ण थी।संयुक्त राष्ट्र संघ को सफलता मिली क्योकि सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ने इसमें अपना सहयोग दिया था।
6,पाकिस्तान के लिये यह युद्ध घातक सिद्ध हुआ। युद्ध में पराजय ने उसकी सैनिक तानाशाही के खोखलेपन को सिद्ध कर दिया। 

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