भारतीय GDP: अपनी ढपली अपने राग

राकेश दुबे@प्रतिदिन। GDP को लेकर हर एक के पास अपनी व्याख्या है और दूसरे की व्याख्या को वह गलत मान रहा है| हाल में सकल घरेलू उत्पाद यानी ग्रास डोमेस्टिक प्रॉडक्ट यानी जीडीपी के जो आंकड़े आए हैं, उनमें जनवरी-मार्च, 2016 की अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.9 प्रतिशत की दर से विकास करती हुई दिख रही है| 7.9 प्रतिशत यानी करीब आठ प्रतिशत|

अब नीति आयोग के मुखिया अरविंद पनगारिया इसे जादुई नंबर मानकर खुश हो सकते हैं|  ऐसी ग्लोबल मंदी में आठ प्रतिशत की विकास दर कमाल है|  आर्थिक मंदी नहीं, सामान्य परिस्थितियों में भी भारत जैसी विशाल अर्थव्यवस्था की विकास दर आठ प्रतिशत कमाल ही है| पर यह कमाल कुछ फीका लगने लगता है, जब रिजर्व बैंक जैसे जिम्मेदार संगठन के बहुत ही जिम्मेदार मुखिया रघुराम राजन कहते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था तो ‘अंधों में काना राजा’ की हैसियत की है यानी पूरे विश्व की तमाम अर्थव्यवस्थाओं में मंदी है| ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था थोड़ी बहुत चलती दिखाई दे रही है, इसका मतलब यह नहीं कि हम विकास की बहुत तेज रफ्तार से दौड़ रहे हैं,  इसका मतलब सिर्फ  यह है कि औरों की खराब हालत के मुकाबले हमारी कम खराब हालत भी बहुत अच्छी दिखायी पड़ रही है|

कुल मिलाकर हाल में आए जीडीपी के आंकड़े कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्यों को रेखांकित करते हैं. एक तथ्य तो यह है कि कुल मिलाकर सालाना आंकड़े भारत में मंदी की ओर इशारा नहीं करते हैं, जैसे इशारे कई कंपनियों की सेल के आंकड़ों से मिलते हैं. 2015-16 में कुल मिलाकर 7.6 प्रतिशत की दर से विकास होने का अंदाज है|

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 2014-15 में विकास दर 7.2 प्रतिशत थी.  इसके पहले के साल यानी 2013-14 में विकास दर 6.6 प्रतिशत थी|उसके भी पहले के साल यानी 2012-13 में विकास दर 5.4 प्रतिशत थी. यानी हर साल विकास दर बढ़ रही है|  और खासकर 2014-15 और 2015-16 में सूखे के बावजूद सात परसेंट से ऊपर की विकास दर यह बताती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की अब भी अपार संभावनाएं हैं| अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र कृषि क्षेत्र में विकास लगभग ना के बराबर है, फिर विकास दर सात प्रतिशत के ऊपर जा रही है. अगर कृषि क्षेत्र विकास दर में चार या पांच प्रतिशत की दर से योगदान करे, तो विकास काफी ऊपर जा सकता है|

कुल मिलाकर मसला सिर्फ  समग्र अर्थव्यवस्था के विकास का नहीं है, मसला है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र किस तरह से विकसित हो रहे हैं| 7.9 प्रतिशत के जीडीपी विकास के आंकड़ों के साथ ये भी आंकड़े बताए सरकार ने कि आंकड़े कि 2015-16 में समूची अर्थव्यस्था 7.6 प्रतिशत की दर से विकसित होती दिख रही है| पर कृषि क्षेत्र का विकास 1.2 प्रतिशत की दर से ही हो पाएगा| वहीं मैन्युफेक्चरिंग यानी तमाम आइटमों के निर्माण के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी 9.3 प्रतिशत की रहनेवाली है| वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में विकास 10 प्रतिशत को पार करता दिखता है-10.3 प्रतिशत, होटल, ट्रांसपोर्ट सेवाओं में विकास दर 9 प्रतिशत रहनेवाली है|  इन आंकड़ों को गौर से देखें, तो अर्थव्यवस्था के पेच साफ दिखाई देने लगते हैं. वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के मायने हैं कि वित्तीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ने चाहिए| पर इस क्षेत्र में काम करने के लिए  सिर्फ  पढ़ा-लिखा होना ही नहीं, कुछ विशेषज्ञ ज्ञान रखना भी जरूरी होता है|
 श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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