ये हैं स्वच्छ भारत अभियान के असली ब्रांड एम्बेसडर: सुखी फिर भी धुनी

सिहोरा। 60 वर्षीय बुजुर्ग कोमलराम सोनी पन्द्रह वर्षों से गाँव के सार्वजनिक स्थानों में झाड़ू लगाकर सफाई करते आ रहे हैं और बरसात के समय में हर साल कई पेड़-पौधे भी लगाते हैं। पौधों की देखरेख करने के लिए भीषण गर्मी में भी पेड़-पौधों को पानी देने से भी नही चूकते। इसके बदले में ये सरकार से 25 पैसे का सहयोग नहीं लेते। 

जबलपुर जिले के सिहोरा शहर से 8 किमी दूर ग्राम बरगी के कोमल प्रसाद सोनी (60 वर्ष) व्यापार छोड़कर जनसेवा करने की ठानी और पन्द्रह वर्षों से कई पेड़-पौधे लगाये। जिनकी देखरेख भी ये खुद ही करते हैं। नियमित पौधों को पानी देते हैं। इसके साथ ही ग्राम में यहां वहां कचरा फैला मिलता है तो झाड़ू लगाकर सफाई करने में जुट जाते हैं। 

बेटे करते हैं नौकरी 
कोमलराम सोनी के चार बेटे हैं जिनमे तीन बेटे सरकारी नौकरी कर रहे हैं जबकि बेटी हेमवती  फिजियोथेरैपिस्ट है। इनका बड़ा पुत्र चिंतामणी इनकमटैक्स विभाग में फेकल्टी के रूप में सेवा दे रहा है। दूसरा बेटा ईस्वरमणि सोनी शहडोल में टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग में सीनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। तीसरा पुत्र भोजमणि हाईकोर्ट में वकालत की प्रेक्टिस कर रहा है। जबकि सबसे छोटा बेटा पढ़ाई कर रहा है। जिंदगी में हर तरह का आराम है, फिर भी विश्राम नहीं लेते। मोदी की अपील के पहले से ही स्वच्छ भारत मिशन का काम रहे हैं।

व्यापार छोड़ लगे सफाई में
कोमलराम सोनी अपने जीवन की शुरुआत किराना व्यापारी के रूप में की। कुछ वर्षों तक दुकान संभालते रहे फिर अचानक अच्छा ख़ासा व्यापार बन्द करके गाँव में सफाई और पौधे रोपण के कार्य करने लगे। 

ऐसी है इनकी दिनचर्या
कोमलराम सुबह चार बजे उठ जाते हैं और ब्रम्ह मुहूर्त में ही सभी धार्मिक स्थानों की साफ सफाई करने में जुट जाते हैं। जिसके बाद गाँव के चबूतरों और सड़क पर कचरा पड़ा देख झाड़ू लगाते रहते हैं फिर पौधों को पानी देते है और जिन पौधों की जड़ों में मिटटी कम होती है तो उनमे मिटटी भी चढाते हैं। इनकी प्रतिदिन की दिनचर्या में सुबह चार बजे से सिर्फ सफाई और पौधों की देखरेख का काम दोपहर तीन बजे तक करते रहते हैं। जिसके बाद नहाना और इनका खाना होता है।

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