पीएम नरसिम्हाराव के हिंदुत्ववाद की वजह से बाबरी मस्जिद गिरी: उप राष्ट्रपति

नई दिल्ली। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना को राजनीतिक दल अलग-अलग ढंग से व्याख्या करते हैं। कुछ राजनीतिक दल भारत पर लगे दाग को मिटाने की बात मानते हैं। वहीं कुछ राजनीतिक दल उस दिन को काला दिन के तौर पर याद करते हैं। बाबरी मस्जिद गिराए जाने का गुनहगार कौन है। इस मामले की सुनवाई अदालत में लंबित है।

लेकिन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने एक सनसनीखेज बयान में कहा कि कांग्रेस के नेता और तत्कालीन पीएम नरसिम्हाराव की हिंदुत्ववादी सोच की वजह से बाबरी मस्जिद गिरा दी गई। विनय सीतापति द्वारा लिखी गई किताब हॉफ लॉयन के लोकार्पण के मौके पर हामिद अंसारी ने कहा कि अगर ये देश राव के अच्छे कामों का फायदा उठा रहा है। तो वहीं उनके गलत कामों का खामियाजा भी देश भुगत रहा है।

किताब के लेखक का कहना है कि नरसिम्हा राव ने कानून के हिसाब से काम किया था। बाबरी मस्जिद गिराए जाने में उनकी भूमिका नहीं थी। राव पर ये आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने बाबरी मस्जिद को बचाने के लिए कुछ किया ही नहीं था। किताब के लेखक का कहना है कि कांग्रेस कभी भी राव को लेकर दयालु नहीं रही। यही नहीं राव ने मुस्लिम वोटों को रिझाने के लिए कुछ ऐसे काम किए। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद कांग्रेस ने राव को हाशिये पर डालने का फैसला कर लिया था।

किताब के उद्घाटन के मौके पर मौजूद कांग्रेस के कद्दावर नेता मणिशंकर अय्यर मुस्लिमों को रिझाने वाले बयान पर आपत्ति दर्ज की। कांग्रेस ने राव को खतरे से आगाह किया था। हालांकि उन्होंने ढील दी।

उपराष्ट्रपति हामिद ने किताब में लिखे गए कई प्रसंगों का हवाला देते हुए कहा कि 1992 में कांग्रेस सरकार बहुमत से 10 सीट दूर थी। विपक्ष पूरी तरह बिखरा था। सामान्य तौर पर ये धारणा थी कि सरकार कमजोर है। लिहाजा राव सभी दलों के साथ संसदीय कार्रवाई को सही ढंग से चलाए जाने पर खासा ध्यान दे रहे थे। इस दौरान राव ने कई व्यक्तिगत संबंध विकसित किए थे। सरकार किसी भी कीमत पर अपनी सरकार को बचाना चाहती थी। इसके लिए कई अनैतिक प्रयास किये गए।
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