
क्या है मामला
देवास निवासी Advocate Ashok Choudhri ने यह याचिका दायर की थी। उनका आरोप था कि 2015 में देवास विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। इसमें वे निर्दलीय प्रत्याशी बतौर नामांकन दाखिल करने गए। लेकिन उनका नामांकन मनमाने तरीके से खारिज कर दिया गया। इसके पीछे 3 बजे के बाद नामांकन दाखिल करने का सर्वथा असत्य कारण रेखांकित किया गया। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि नामांकन नियत समयावधि के भीतर संपूर्ण वैधानिक स्वरूप में दाखिल किया जा रहा था।
दिवंगत एमएलए की पत्नी को लाभ पहुंचाया
एडवोकेट चौधरी ने अपनी रिट पिटीशन में आरोप लगाया था कि देवास के दिवंगत भाजपा विधायक तुकोजी राव पवार के आकस्मिक निधन के बाद यह सीट उपचुनाव के लिए रिक्त हो गई। भाजपा ने इसके लिए तुकोजी की पत्नी गायत्री राजे पवार को अधिकृत प्रत्याशी बनाया। दिलचस्प बात तो यह रही कि कांग्रेस ने इस प्रत्याशी के मुकाबले बेहद कमजोर प्रत्याशी को मैदान में उतारकर भाजपा प्रत्याशी की जीत का रास्ता साफ कर दिया।
इससे पहले याचिकाकर्ता जैसे अपेक्षाकृत चुनौतीपूर्ण निर्दलीय प्रत्याशी को मैदान से हटाने शासन-प्रशासन के दबाव में तिकड़म भिड़ाई गई। इस बारे में चुनाव आयोग में शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नदारद रही।
एक ही मामले में दो आदेश कैसे-
एडवोकेट चौधरी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हाईकोर्ट से रिट पिटीशन खारिज होने के बाद प्रथमतया तो आदेश उनके हाथ में आया वह अत्यंत संक्षिप्त था। जबकि सत्यापित प्रतिलिपि हासिल करने पर आदेश विस्तारपूर्वक संदर्भित न्यायदृष्टांत आदि से सुशोभित हो रहा था।
वे इन दोनों विरोधाभासी आदेश-पत्रकों को संलग्न करके सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। इसी के समानांतर अलग से हाईकोर्ट में चुनाव याचिका भी दायर की जाएगी।