भोपाल मंत्रालय से निकला फर्जी आदेश: शुरू हुई जांच

Bhopal Samachar
भोपाल। राजधानी स्थित राजस्व मंत्रालय से एक फर्जी आदेश चर्चा में आया है। इस आदेश में मर्जर प्रभावित गावों की बहुमूल्य जमीनों का सर्वे करने हेतु कलेक्टर को आदेशित किया गया है। मंत्रालय ने सर्वे कर जानकारी मांगी है। आदेश पर जिस अधिकारी का नाम लिखा है, उसका कहना है कि वो इस पद पर है ही नहीं, जिसका उल्लेख आदेश में है, लेकिन सवाल यह उठता है कि केवल जानकारी मांगने वाला आदेश फर्जी क्यों निकाला गया। 

यह आदेश राजस्व विभाग में पदस्थ अपर सचिव अशोक गुप्ता के नाम पर निकाला गया है।राजस्व मंत्री सिंह ने जब इस मामले में प्रमुख सचिव केके सिंह को तलब कर 12 अप्रैल 2016 को जारी आदेश की वस्तुस्थिति जाननी चाही तो अपर सचिव गुप्ता को तलब किया गया। गुप्ता ने मंत्री और पीएस दोनों से ही कहा कि आदेश पर किए गए हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। गुप्ता ने कहा कि वे अपर सचिव हैं और उपसचिव के पद पर कभी पदस्थ ही नहीं रहे। इसलिए उपसचिव के पद से आदेश जारी करने का सवाल ही नहीं उठता। अब इस मामले में सवाल यह उठ रहा है कि यह उपसचिव गुप्ता कौन हैं? मंत्रालय में राजस्व विभाग में अशोक गुप्ता नाम के कोई अफसर पदस्थ नहीं हैं।

भूमाफिया और IAS की मिलीभगत
मर्जर प्रभावितों की लड़ाई लड़ रहे घर बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अधिवक्ता जगदीश छावानी कहते हैं कि अगर यह आदेश फर्जी है तो इसमें भूमाफिया और कुछ आईएएस अफसरों की मिलीभगत हो सकती है। जब भी मर्जर मामले में शासन ने कुछ करने की कोशिश की है तो पीड़ितों को भड़काने का प्रयास किसी न किसी बहाने किया जाता रहा है।

आदेश क्रमांक भी फर्जी, यह जानकारी मांगी
उपसचिव गुप्ता के नाम भोपाल कलेक्टर के लिए जो आदेश क्रमांक एफ-6-77/सात/नजूल/2016 जारी किया गया है, वह फर्जी है। अभी तक इस आदेश क्रमांक की फाइल ही तैयार नहीं हुई है। इसलिए आदेश के औचित्य पर सवाल उठ रहे हैं। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2007 के बाद जिनकी जमीन के नामांतरण और निर्माण कार्य कराए गए हैं, उनकी जानकारी दी जाए ताकि अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई हो सके। शत्रु संपत्ति के दायरे में आने वाली जमीन और पूरे मामले में लोकायुक्त में चल रहे प्रकरणों की जानकारी भी देने के लिए कहा गया है। इसमें मर्जर प्रभावितों की जमीन का सर्वे कराने के लिए कहा गया है।

गांव आठ, जानकारी चार की मांगी
मर्जर प्रभावित गांवों की संख्या आठ है जिसमें बेहटा, बोरवन, लाऊखेड़ी, हलालपुर, भोपाल शहर, निशातपुरा, शाहपुरा, सेवनिया गौड़ की 2800 एकड़ से अधिक की जमीन को लेकर विवाद है। अरबों-खरबों की इस जमीन के मामले में संबंधित पत्र में सिर्फ बेहटा, बोरवन, लाऊखेड़ी, हलालपुर की जमीन की जानकारी मांगी गई है जिसमें कहा गया है कि राज्य शासन द्वारा दिए गए निर्देशों पर अब तक की गई कार्यवाही से भी अवगत कराया जाए ताकि आगे की प्रक्रिया तय की जा सके। यह आदेश भू राजस्व संहिता (संशोधन) में मर्जर की जमीन पर बदलाव के लिए सर्वे करने की खातिर जारी किया गया था।
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