नयी दिल्ली। क्या किसी न्यायाधीश द्वारा प्राप्त व्हाट्सएप के किसी संदेश को एक याचिका माना जा सकता है? प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर के नेतृत्व वाली एक पीठ को तब इस अजीब सवाल का सामना करना पड़ा जब अधिवक्ता अशोक अरोड़ा ने यह मामला सामने रखा और कहा कि उन्होंने प्रधान न्यायाधीश को अमेरिका से एक मुद्दे के बारे में एक व्हाट्सएप संदेश भेजा था और यह कि अदालत को उसके आधार पर मामले पर संज्ञान लेना चाहिए था।
प्रधान न्यायाधीश ने अधिवक्ता से पूछा, ‘‘हम व्हाट्सएप का इस्तेमाल नहीं करते। आप इस मामले के लिए अमेरिका से यहां आये?’’ इस पर अधिवक्ता ने हां में जवाब दिया। अरोड़ा ने कहा, ‘‘यदि किसी पोस्टकार्ड पर लिखे किसी मामले को जनहित याचिका माना जा सकता है तो व्हाट्सएप संदेश को क्यों नहीं। व्हाट्सएप किसी पोस्टकार्ड से बेहतर हो सकता है।’’ पीठ ने कहा कि वह मामले पर सोमवार को सुनवायी करेगी।
अरोड़ा ने कहा कि चूंकि प्रधान न्यायाधीश ने उस मामले का संज्ञान नहीं लिया जो उन्होंने व्हाट्सएप संदेश में उठाया था, इसलिए उन्होंने अब एक याचिका दायर की है। अरोड़ा ने अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने नागरिकों द्वारा संविधान में निहित मूलभूत कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने का मुद्दा उठाया था।