
सूत्रों के मुताबिक, कई राज्यों में आईपीएस अधिकारी के निलंबित होने के बाद चार्जशीट जारी होने में लंबा समय लगता था। राज्य सरकार 45 दिन के अंदर चार्जशीट जारी कर जवाब मांगती थी। चार्जशीट मिलने के बाद निलंबित आईपीएस अधिकारी अपना पक्ष रखता था।
इस प्रक्रिया में लंबा समय लग जाता था, जिसके चलते आईपीएस अधिकारी की विभागीय कार्रवाई लंबी हो जाती थी और उसका निलंबन भी लंबे समय तक रहता था। इस जटिल प्रक्रिया को आसान करने के लिए 21 दिसंबर, 2015 में केंद्र सरकार ने आईपीएस अफसरों को जारी होने वाली चार्जशीट का समय 45 से घटाकर 30 दिन कर दिया था।
श्रीकांत को मिला सरकार की अज्ञानता का लाभ
हरियाणा की जातीय हिंसा में किरकिरी के बाद निलंबित किए गए आइजी श्रीकांत जाधव मामले में हरियाणा सरकार अपनी अज्ञानता के कारण मात खा गई।
केंद्र सरकार ने दिसंबर 2015 में आईपीएस अधिकारियों के निलंबित होने के 30 दिन के भीतर चार्जशीट जारी करने का आदेश जारी किया था। इसकी अधिसूचना 21 दिसंबर, 2015 को जारी कर दी गई थी, लेकिन राज्य सरकार इससे बेखबर थी। इसी के चलते आइजी जाधव को बहाल करना पड़ा, क्योंकि जाधव को निलंबित करने के 30 दिन के बाद चार्जशीट जारी की गई थी।