लोकायुक्त के अधिकारी होंगे CBI की तरह चुस्त और चालाक

मप्र लोकायुक्त कार्यालय, भोपालभोपाल। अब मप्र लोकायुक्त के अधिकारी भी सीबीआई या सीवीसी के अधिकारियों की तरह दिमाग से चुस्त और चालाक होंगे। वो जांच के दौरान ऐसी कोई गलती नहीं करेंगे जिसका फायदा कोर्ट में आरोपी भ्रष्ट अधिकारी/कर्मचारी उठा सकें। कोर्ट में दमदार चालान पेश किया जाएगा ताकि हर हाल में सजा सुनिश्चित की जा सके। 

भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाला लोकायुक्त संगठन अब सीबीआई और सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) की तर्ज पर काम करेगा। विवेचना के दौरान इंवेस्टिेगेशन ऑफिसर को किन-किन बातों का ध्यान रखना है, इसे 11 पेज में समझाया गया है। तीन महीने तक लोकायुक्त संगठन के दो अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट के फैसलों व पुराने मामलों का अध्ययन किया और 207 पेज की रिपोर्ट तैयार की। प्रक्रिया का मकसद एक ही था कि अदालत में संगठन का केस मजबूत रहे और आरोपी बरी न हो सके। 

लोकायुक्त पीपी नावलेकर की सहमति के बाद डीजी अजय शर्मा ने पहली बार ये कवायद शुरू की। कुछ मामलों में देखने में आता था कि आरोपी उन्हीं बिंदुओं का फायदा उठाकर कोर्ट से बरी हो गए, जिनका ध्यान विवेचना अधिकारी ने नहीं रखा। इसके बाद तैयार हुई एक कमेटी ने दो अफसरों डीएसपी राजकुमार सर्राफ और निरीक्षक मुकेश तिवारी को नियुक्त किया गया। डीएसपी को ईओडब्ल्यू से जुड़े मामलों का अच्छा अनुभव है और निरीक्षक ने सीबीआई में लंबा अरसा गुजारा है। दोनों ने मिलकर 207 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की। इनमें से 11 पेज के निर्देश छांटे गए। 

प्रदेश के सात संभाग में दी जा रही अफसरों को ट्रेनिंग 
लोकायुक्त संगठन के प्रदेश में सात संभाग हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर, सागर और रीवा। यहां पदस्थ 60 से ज्यादा निरीक्षक और डीएसपी को इन्हीं निर्देशों के आधार पर ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें बताया जा रहा है कि ट्रैप के मामलों में आरोपी की आवाज का सैंपल भी लिया जाए। आरोपी ने संपत्ति कैसे बनाई, उसका हिसाब पूछें, जवाब नहीं मिले तो ही उसकी संपत्ति असमानुपातिक संपत्ति कहलाएगी। 

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