जबलपुर। बालाघाट लांजी से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते द्वारा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिए पोषण-आहार घोटाले की सीबीआई जांच कराए जाने पर बल दिया गया है। सोमवार को प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस अनुराग कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ ने इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य शासन, एमपी एग्रो व सीबीआई सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।
मामले की सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा मेनन व राहुल चौबे ने रखा। उन्होंने दलील दी कि पिछले 5 साल के दौरान एमपी एग्रो जैसी एजेंसी को पोषण आहार का ठेका देकर आंगनबाड़ियों के जरिए होने वाले पोषण-आहार वितरण के नाम पर जमकर गोलमाल किया गया। आलम यह रहा कि एमपी एग्रो को साढ़े 4 हजार करोड़ का भुगतान कर दिया गया, जिसके मुकाबले जमीनी स्तर पर काम नजर नहीं आया। यहां तक कि दुग्ध संघ का जो दूध आंगनबाड़ियों के जरिए वितरित किया गया वह कई जगहों पर एक्सपायरी डेट का निकला। इससे साफ है कि गर्भवती माताओं और नौनिहालों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन
बहस के दौरान दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व न्यायदृष्टांतों में पोषण आहार ठेका पद्घति से वितरित किए जाने की मनाही की है। ऐसा इसलिए क्योंकि ठेका पद्घति में गुणवत्ता सुनिश्चित करना टेढ़ी खीर है। इसीलिए स्वसहायता समूहों व आंगनबाड़ियों को इस सिलसिले में जोड़ा गया लेकिन सरकार के भ्रष्टतंत्र ने अपनी मनमानी के लिए एमपी एग्रो व दुग्धसंघ के जरिए आपूर्ति के नाम पर राशि के गोलमाल और योजना के मूल मंतव्य को दूषित करने का खेल जारी रखा। यदि सीबीआई जांच हो तो सारी पोल खुद-ब-खुद खुल जाएगी।