
यह भी कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में रिक्त पदों को भरने के बाद ही गैर-अनुसूचित क्षेत्रों में रिक्त पदों को तबादले से भरा जाए। इन क्षेत्रों में किसी को भी तीन साल के बाद ही हटाने का प्रस्ताव है। माना जा रहा है कि इस पर सिंहस्थ के बाद कैबिनेट में फैसला होगा।
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2013 में विधानसभा व 2014 में लोकसभा चुनाव के कारण यह रोक लगी थी। जरूरी ट्रांसफर मुख्यमंत्री के स्तर पर हुए थे। इसके बाद पिछले साल सरकार ने 15 अप्रैल से 15 मई के बीच तबादलों से रोक हटाई थी लेकिन इस साल सिंहस्थ के मद्देनजर जून माह में प्रतिबंध हटाने की उम्मीद है।
तबादला प्रक्रिया में बदलाव नहीं
जीएडी सूत्रों के अनुसार, प्रस्ताव में तबादलों की प्रक्रिया में बदलाव नहीं किया गया है। जिला स्तर पर तबादले कलेक्टर प्रभारी मंत्री की स्वीकृति से जबकि राज्य स्तर पर सामान्य विभागीय प्रक्रिया के अनुसार ही होंगे। द्वितीय और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के तबादले विभागाध्यक्ष के जरिए होंगे। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के ट्रांसफर सामान्य प्रशासन विभाग करेगा, जिलों में डिप्टी कलेक्टर और ज्वाइंट कलेक्टर की पोस्टिंग में फेरबदल कलेक्टर करेंगे। नए बने जिलों में खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाएगा। इसके साथ ही तहसीलदार और नायब तहसीलदार की जिले में पोस्टिंग कलेक्टर प्रभारी मंत्री की मंजूरी के बाद करेंगे।
मंत्रियों के दफ्तर के चक्कर लगा रहे आवेदक
मनचाही पोस्टिंग के लिए मंत्रियों के दफ्तर में आवदेकों ने चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने आरक्षण से लेकर डीएसपी तक के सौ से अधिक आवेदनों की सूची पुलिस मुख्यालय भेजी है। इसके बाद भी आवेदन आने का सिलसिला जारी है। जबकि पिछले साल पुलिस महकमे में सबसे अधिक तबादले हुए थे। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में पंचायत सचिवों समेत करीब तीन हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं। मंत्री गोपाल भार्गव के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पंचायत सचिवों के स्थान परिवर्तन के सबसे अधिक आवेदन मिले हैं। इनकी सूची तैयार की जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले का आवेदन ऑनलाइन लिया जा रहा है। यह व्यवस्था पिछले साल से लागू की गई है। राज्यभर से 100 से अधिक शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों ने आवेदन कर दिए हैं।
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प्रिंसिपल को तीन साल एक ही कॉलेज में रहना होगा
प्रदेश के सरकारी कॉलेजों के प्रिंसिपल को तबादले के बाद किसी भी स्थान पर तीन साल और शिक्षकों व कर्मचारियों को पांच साल तक रहना जरूरी होगा। उच्च शिक्षा विभाग ने तबादला नीति लागू कर दी है। इसके अनुसार, नए सत्र में शिक्षकों के जो भी ट्रांसफर होंगे वे कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों की संख्या के आधार पर ही होंगे। प्राचार्यों, शिक्षकों और कर्मचारियों के ट्रांसफर जुलाई में शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र से पहले ही किए जाएंगे। हालांकि प्रशासकीय आवश्यकता और शिकायत व गंभीर आरोपों के मामले में यह नियम लागू नहीं होगा।