प्राइमरी स्कूल से लेकर कॉलेज तक हर स्तर पर बदलाव की तैयारी

नई दिल्ली। स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक फेल नहीं करने और कक्षा छह से परीक्षा लेने की सिफारिश की गई है। नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सुब्रमण्यम समिति ने ये सिफारिशें की हैं। समिति ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए विदेशी संस्थानों को भारत आने की अनुमति दिए जाने का भी सुझाव दिया है।

सूत्रों ने बताया कि समिति ने 200 पन्नों की रिपोर्ट में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए विशेष सुझाव दिए हैं। उसने प्राथमिक से लेकर उच्चतर शिक्षा तक के स्तर में कमियां पाई हैं। समिति ने सिफारिश की है कि फेल नहीं करने (कक्षा में नहीं रोकने) की नीति की समीक्षा की जानी चाहिए।

शिक्षा के अधिकार कानून में आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने का प्रावधान है। समिति ने सुझाव दिया है कि एक बार में छात्र पास नहीं होता है तो परीक्षा देने के लिए उसे और दो मौके दिए जाने चाहिए।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में एक अध्याय प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग के प्रभाव पर समर्पित किया है। समिति का एक अन्य महत्वपूर्ण सुझाव शिक्षा सेवा कैडर बनाना है जो शिक्षा प्रशासन का स्तर बेहतर बना सके।

देश के कई संस्थानों के शीर्ष स्थानों में स्थान नहीं मिलने को देखते हुए समिति ने उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सुझाव दिया कि विदेश के उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों को भारत में आने की अनुमति दी जानी चाहिए। उसने यह भी कहा कि ऐसे संस्थानों को उचित नियंत्रण के साथ यह अनुमति मिले।

समिति ने कौशल बढ़ाने वाली और रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर भी जोर दिया है। समिति ने यूजीसी और एआइसीटीई को शामिल कर शिक्षा के लिए रेगूलेटरी तंत्र बनाने की भी सिफारिश की है।

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