मप्र पुलिस भर्ती के नियम बदलेंगे

भोपाल। मुरैना में 3 मई को पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा के पात्रता नियमों को लेकर हुए हुई हिंसक झड़प और उसके बाद प्रदेश भर में हुए प्रदर्शनों को सरकार ने गंभीरता से लिया है। सरकार जल्द ही नए भर्ती नियम बनाने जा रही है। ताकि दूसरे राज्यों के लोग प्रदेश के युवाओं का हक न मार सके। 

दरअसल 2012 में व्यापम को आरक्षक भर्ती परीक्षा का जिम्मा मिलने के बाद व्यापमं के दलालों को फायदा पहुंचाने के लिए भर्ती नियमों में कई ऐसे मनमाने बदलाव किए गए थे जिसके चलते दूसरे राज्यों के प्रतिभागियों के लिए दरवाजे खुल गए थे। 

देश भर के दूसरे राज्यों में पुलिस आरक्षक सहित दूसरी भर्ती परीक्षाओं में कई ऐसे प्रावधान हैं जिसके चलते दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थी वहां के युवाओं का हक नहीं मार सकते। कुछ ऐसे ही प्रावधान अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रीत्व काल में 1987 ओर फिर दिग्विय सिंह सरकार के समय 1998 में मध्यप्रदेश में भी किए गए थे। पर बाद में वे नियम हटा दिए गए। 

जल्द करेंगे बदलाव 
बाबूलाल गौर, गृहमंत्री मध्यप्रदेश का कहना है कि मेरी जानकारी में जो नियम बदले गए थे, उसके दु्ष्परिणाम आए हैं। हम दूसरे राज्यों के भर्ती नियमों का अध्ययन कर रहे हैं। जल्द ही जरूरी बदलाव करेंगे। ताकि प्रदेश के युवाओं का हित सुरक्षित रहे सके।

  • यह है दूसरे राज्यों के नियम 
  • उत्तराखंड राज्य के सेवा योजना कार्यालय में पंजीयन जरूरी। 
  • उत्तरप्रदेश मूल निवासियों को आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट। 
  • झारखंड राज्य से 10वीं पास होना अनिवार्य। 
  • आसाम उस राज्य का मूल निवासी होना अनिवार्य। 
  • उड़ीसा राज्य के रोजगार कार्यालय में पंजीयन जरूरी। 
  • राजस्थान हिंदी तथा राजस्थान की संस्कृति का ज्ञान जरूरी। 
  • हिमाचल प्रदेश राज्य का मूल निवासी होना अनिवार्य। 


गलत आधार लेकर बदल दिए नियम 
पहले जुलाई 2012 और फिर जनवरी 2013 में एक के बाद एक दोनों नियम हटा दिए। रोजगार कार्यालय में पंजीयन का नियम हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जिस आदेश की आड़ ली गई वह फैसला संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से संबंधित था और 10वीं, 12वीं परीक्षा का नियम बदलने के लिए हाईकोर्ट मध्यप्रदेश के जिस फैसले की आड़ ली गई वह म.प्र. पी.एस.सी. के लिए था ना कि पुलिस आरक्षक भर्ती से संबंधित प्रति दोनों नियम बदलने का ही परिणाम है। प्रदेश की नौकरियों के दरवाजे देशभर के लिए खुल गए। 

1987 में बाहरी राज्यों के युवाओं को रोकने के लिए प्रावधान किया गया कि विज्ञापन के 90 दिन पूर्व प्रदेश के रोजगार कार्यालय में पंजीयन अनिवार्य है । 

1998 में यह प्रावधान किया गया कि आरक्षक की परीक्षा के लिए प्रदेश के स्कूल से 10वीं, 12वीं परीक्षा पास होना अनिवार्य हैं। यह दोनों नियम बाहरी छात्रों को अप्रत्यक्ष रूप से रोकते थे। 

2012 में बदले नियम 
जनवरी 2012 तक पुलिस आरक्षक भर्ती का जिम्मा पुलिस विभाग के पास ही था। तब तक पुराने नियमों से ही भर्ती हुई। जुलाई 2013 में व्यापमं को 15 हजार से अधिक आरक्षकों का जिम्मा मिलने के बाद नियम बदल दिए गए। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रदेश की नौकरी के दरवाजे दूसरे राज्यों के युवाओं के लिए खुल गए। ३ साल बाद एक बार फिर 14283 पुलिस आरक्षकों की भर्ती की जाना है ,ऐसे में नियमों में बदलाव का विवाद एक बार फिर जोर पकड़ता जा रहा है ।3 मई को मुरैना में इसी मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में अधिकारियों सहित कई लोग घायल हो गए थे। 

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