राकेश दुबे@प्रतिदिन। तंजील अहमद जैसे अफसर की हत्या, एनआईए और संगठित अपराध व आतंकवाद के खिलाफ मुहिम के लिए एक बड़ा नुकसान है। तंजील अहमद को एक कुशल और साहसी अधिकारी माना जाता था और आतंकवाद के खिलाफ एनआईए की कई मुहिमों में वह शामिल थे। वह एनआईए की शुरुआत से ही उसमें थे और सन 2009 से इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े मामलों की तफ्तीश में सक्रिय थे। पिछले एक साल से वह नकली करेंसी और आतंकवादी संगठनों के धन के स्रोतों की तफ्तीश से संबंधित प्रकोष्ठ से भी जुड़े हुए थे। वह उर्दू और फारसी के जानकार थे, इसलिए जमीनी स्तर पर जानकारी जुटाने में उनकी महारत थी। जाहिर है, खतरनाक संगठनों की जांच करने और उनके लोगों को कानून के हवाले करने की वजह से तंजील के कई दुश्मन बन गए होंगे। यह मुमकिन है कि किसी आतंकवादी संगठन ने उनकी हत्या करवाई हो।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिस इलाके में तंजील अहमद की हत्या हुई, वह इलाका अपराध और हिंसा के लिए चर्चित है। इस इलाके में स्थानीय अपराधी गिरोह बडे़ पैमाने पर सक्रिय हैं और यहां अवैध हथियारों की खपत भी बहुत होती है, जो या तो बांग्लादेश या नेपाल के रास्ते तस्करी के जरिए आते हैं या अवैध हथियार फैक्टरियों में बनाए जाते हैं। यहां पर सक्रिय कई अपराधियों का बड़े अपराधी गिरोहों से संबंध होना कोई असाधारण बात नहीं है। दिल्ली के करीब होने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमीन के दाम में जो उछाल आया, उसने यहां के अपराधियों को तुरंत अमीर होने का एक रास्ता दिखाया और इसकी वजह से भी यहां हिंसा बहुत बढ़ी है। कानून-व्यवस्था की कमजोर स्थिति भी इस हत्या के पीछे की एक बड़ी वजह हो सकती है। इस क्षेत्र में वाहनों की लूट और डकैती भी आम बात है ।लगता है कि यह हत्या आम अपराधियों ने नहीं की है। अगर यह हत्या आतंकवादी संगठनों का काम है, तो इससे एनआईए या ऐसे दूसरे संगठनों से जुड़े लोगों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होते हैं। अगर आतंकवादी संगठनों की इतनी हिम्मत हो गई है कि वे जांच एजेंसी के अफसर को इस तरह मार सकते हैं, तो संवेदनशील मामलों से जुड़े जांच अधिकारियों की सुरक्षा के लिए सोचा जाना चाहिए।
पिछले दिनों इस्लामिक स्टेट से जुड़े कुछ आतंकवादी गुटों के लोग पकड़े गए थे, जिनकी देश में सुरक्षा अधिकारियों को निशाना बनाने की योजना थी। यह हत्या इसी योजना का हिस्सा थी या नहीं, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन यह खतरा तो वास्तविक है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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