
मालूम हो कि मधुप बैंक ऑफ बड़ौदा में 6100 करोड़ रुपए के कारोबार में धोखाधड़ी के मामले की जांच भी कर रहे थे। यह पैसा बैंक ऑफ बड़ौदा की नई दिल्ली की एक शाखा से हांगकांग भेजा गया था। उनके अचानक मूल कैडर में भेजे जाने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
हालांकि सीबीआई की प्रवक्ता देवप्रीत सिंह का कहना है कि यह सामान्य प्रक्रिया है और मधुप को उनके मूल कैडर ने बुलाया था, जिसके बाद उन्हें रिलीव कर दिया गया। भारतीय पुलिस सेवा के 1995 बैच के यूनियन टेरीटरी कैडर के अधिकारी मधुप ने 2013 में सीबीआई ज्वाइन की थी और तब से ही वे विशेष अपराध, बैंकिंग प्रतिभूति और धोखाधड़ी के मामले देख रहे थे।