
रविवार को आयोजित इस परीक्षा में एक सवाल आया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल का अध्यक्ष कौन है। विकल्प में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और पर्यावरण मंत्री दिए गए थे। सही उत्तर इनमें से कोई नहीं है। एक सवाल पूछा गया कि मानव विकास सूचकांक का आधार क्या है? इसके विकल्प भी संदेह में रहे। परीक्षार्थियों के अनुसार सही जवाब शिक्षा, जीवन प्रत्याशा और आय का स्तर है, जो विकल्पों में नहीं था। एक सवाल आया कि किस आयोग ने वित्त आयोग और योजना आयोग के विलय का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। परीक्षा के बाद छात्र इसका जवाब इंटरनेट खोजते रहे लेकिन उन्हें नहीं मिला। आयोग के सचिव मनोहरलाल दुबे का कहना है कि आयोग आपत्ति बुलाएगा। अगर किसी सवाल पर संदेह है या लगता है कि गलत है तो उसे हटाकर अंकों को जोड़ा जाएगा।
प्रदेश का सामान्य ज्ञान किताबों से नहीं आया
पेपर देकर निकलने परीक्षार्थियों की माने तो इस बार सामान्य अध्ययन और सीसेट के पेपर संघ लोक सेवा आयोग के स्तर के आए हैं। सामान्य अध्ययन के पेपर में पूछे गए सवाल तो किसी भी किताब से नहीं पूछे गए। सबसे ज्यादा भूगोल व पर्यावरण विषय के रहे। जबकि विज्ञान व कंप्यूटर के प्रश्न संख्या के लिहाज से कम ही रहे। इतिहास के सवाल पुराने पैटर्न के ही रहे वहीं अर्थशास्त्र और संविधान के प्रश्न आईएएस के स्तर के आए।
कटऑफ 75 प्रतिशत तक ही जाने की उम्मीद
सीसेट का पेपर भी यूपीएससी के स्तर का रहा। खासकर गणित के प्रश्न काफी कठिन रहे। सिविल सर्विस क्लब के संयोजक लक्ष्मीशरण मिश्रा की माने तो इस बार पेपर का स्तर जिस तरह का रहा है उसके अनुसार कटऑफ 75 प्रतिशत से ऊपर नहीं जा सकेगा। अंकों का लाना सामान्य अध्ययन के पेपर पर निर्भर करेगा। इसका कारण सीसेट का क्वालिफाइंग होना है। सीसेट में छात्रों को 200 में से केवल 80 अंक ही लाना होगा।