इंदौर। उच्च शिक्षा विभाग का भी अजीब रवैया है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) के जरिये दो साल पहले असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा रखी। प्रदेश के 32 हजार आवेदकों ने इसके लिए फॉर्म भरे, लेकिन कुछ समय बाद ही विभाग ने परीक्षा रद्द कर दी। विभाग ने न परीक्षा ली और न ही आवेदकों से फीस के रूप में लिए गए 2.72 करोड़ रुपए वापस लौटाए।
अब आयोग नए सिरे से परीक्षा कराने की तैयारी कर रहा है, लेकिन कई आवेदक अपने को सरकार के हाथों ठगा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि परीक्षा निरस्त होने से कई आवेदक आयु सीमा पार कर गए हैं। दोबारा परीक्षा होने पर वे इसमें नहीं बैठ पाएंगे।
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जनरल कैटेगरी के आवेदकों को झटका
सरकारी कॉलेजों में 1800 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए आयोग के जरिये ये परीक्षा ली जानी थी। इसके लिए आवेदकों से एमफिल, पीएचडी और नेट की योग्यता मांगी गई थी। बताया जाता है कि करीब 15 साल बाद जनरल कैटेगरी के पदों पर भी ये भर्ती होनी थी, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने बीच में ही इस परीक्षा को रद्द कर दिया। इससे जनरल कैटेगरी के आवेदकों को बड़ा झटका लगा। सामान्य वर्ग के अधिकांश आवेदकों में से कई निर्धारित योग्यता होने के बावजूद इसलिए बाहर हो जाएंगे, क्योंकि वे नए सिरे से परीक्षा होने पर वे आयु-सीमा पार कर रहे हैं।