
दो आतंकियों को मार हुए थे शहीद
तीन जनवरी 1991 को तीन आतंकी धनबाद पहुंचे। इसके बाद वे लूट के इरादे से एक बैंक पहुंच गए। आतंकियों ने बैंक कर्मियों को बंधक बना लिया और बैंक लूटने लगे। इसी दौरान घटना की सूचना किसी तरह धनबाद के तत्कालीन एसपी रणधीर प्रसाद वर्मा को लगी। सूचना के बाद वे अपने साथियों के साथ स्पॉट पर पहुंचे और मोर्चा संभाल लिया।
अकेले संभाल लिया था मोर्चा
उन्होंने अपने साथियों को बैंक परिसर के बाहर से मोर्चा संभालने को कहा जबकि वे खुद बैंक के मुख्य दरवाजे पर पहुंच गए। दोनों ओर से मुठभेड़ शुरू हो गई। मुठभेड़ में आईपीएस ने दो आतंकियों को बैंक परिसर में ही मार गिराया। हालांकि इस दौरान भाग रहे तीसरे आतंकी ने आईपीएस पर फायरिंग कर दी जिससे वे शहीद हो गए।
भारत सरकार ने जारी किया था डाक टिकट
भारत सरकार ने उनके सम्मान में 2004 में डाक टिकट भी जारी किया था। शहीद आईपीएस के नाम पर शहर में एक चौक बनाया गया है, जबकि उनके नाम पर बिहार मुजफ्फरपुर में एक क्रिकेट क्लब है। शहीद की पत्नी रीता वर्मा धनबाद से लोकसभा सांसद रह चुकीं हैं। उन्हें केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री भी बनाया गया था। रणधीर प्रसाद वर्मा का जन्म बिहार के सुपौल जिले (पूर्व सहरसा जिला) के जगतपुर गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा सेंट जॉन हाई स्कूल तथा पटना कॉलेज में हुई। वो 1974 में भारतीय पुलिस सेवा से जुड़े थे।