
समदड़िया मॉल में हुए घोटाले एक के बाद एक उजागर हो रहे हैं। पूर्व सीईओ अवध श्रोत्रिय ने हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच कर जो फाइल तैयार की है उसमें यह बात भी सामने आई है कि प्रमोटर ने समय पर किश्त जमा नहीं की थी। इस वजह से जेडीए ने उस पर 42 लाख 48 हजार रुपए ब्याज निकाला था, लेकिन बाद में अधिकारियों की मिलीभगत से इस ब्याज में भी 25 फीसदी की छूट दे दी गई। इतना ही नहीं जेडीए अधिकारियों ने अपनी ओर से नोटशीट चलाई कि प्रमोटर समदड़िया की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए उसे ब्याज में 25 फीसदी छूट दी जाए। तत्कालीन सीईओ शिवेन्द्र सिंह ने इसका अनुमोदन कर छूट भी दे दी थी।
अधिकारियों ने ही कराया नुकसान
समदड़िया को और भी कई ऐसी छूट दी गई हैं जिनका नियमों में कहीं प्रावधान नहीं है। ये छूट दिलाने वाले कोई और नहीं जेडीए के ही अधिकारी रहे जो अपनी ही संस्था को लगातार आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे थे।
अध्यक्ष को एक सप्ताह का समय
याचिकाकर्ता सुशील मिश्रा का कहना है कि उनकी याचिका के आधार पर हाईकोर्ट ने जांच के निर्देश दिए थे। पूर्व सीईओ ने पूरी ईमानदारी से जांच को अंजाम देने के बाद मॉल की लीज निरस्त करने का अनुमोदन किया था लेकिन 4 दिन बाद भी अध्यक्ष डॉ विनोद मिश्रा इसमें कोई फैसला नहीं ले पाए हैं। अध्यक्ष यदि एक सप्ताह के भीतर निर्णय नहीं लेते हैं तो वे एक बार फिर न्यायालय की शरण में जाएंगे।