शाजापुर। देशभर में धार्मिक मुद्दों पर बढ़ते टकराव और बिगड़ती साम्प्रदायिक फिजा के बीच मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले ने एक मिसाल कायम की है. शाजापुर में दोनों ही हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बगैर शोर-शराबे और कोलाहल के पूजा और इबादत करने का फैसला लिया हैं.
शहर की ईदगाह रोड स्थित बरसों पुरानी बैतूल हम्द मस्ज़िद में अब बगैर माईक से ही अज़ान पढ़ी जायेगी तो शहर के तीन मंदिरो में आरती को छोड़कर भजन और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान माइक पूरी तरह से बंद रहेंगे. शरद रोड स्थित श्री राम मंदिर, टंकी चौराहा स्थित सांई मंदिर और गायत्री शक्तिपीठ मंदिर के संचालकों ने इस फैसले पर अपनी सहमति जता दी है.
दरअसल, शहर में तय सीमा से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण हो रहा था. इसी वजह से स्कूली बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. इसी बात को लेकर जिला कलेक्टर राजीव शर्मा ने पहल की थी. मामला धार्मिक आस्था से जुड़ा होने की वजह से उन्होंने इन धर्म स्थलों के जिम्मेदारों से ही इस बात में आगे आने का अनुरोध किया था.
दोनों ही धर्मों के लोगों ने धार्मिक कट्टरता से उपर उठकर ये अनूठा फैसला किया कि उनकी इबादत या पूजा बच्चों के लिए बाधा नहीं बने. अब शहर के शेष धार्मिक स्थलों के प्रबंधन से भी इसी तरह के फैसले की उम्मीद की जा रही हैं.