उत्तराखंड। सदी की सबसे बडी जलप्रलय के दौरान देश दुनिया ने केदारनाथ की पवित्र घाटी में प्रकृति का रौद्र रूप देखा था, लेकिन ये भी सच है कि भक्ति और आस्था के आगे मनुष्य सदैव नतमस्तक रहा है यही वजह है कि 2013 की 16-17 जून की आधी रात जो त्रासदी केदार घाटी ने झेली आज वही महादेव का धाम पहले से ज्यादा सुरक्षित और मनोरम स्वरूप में हमारे सामने है.
सोनप्रयाग रामबाड़ा गौरीकुण्ड जो उस जलप्रलय में पूरी तरह तबाह हो गए थे आज एक बार फिर सैलानियों के स्वागत को तैयार है. नए साल के पहले कुछ दिनों मे हुई बर्फबारी ने केदारनाथ के चारों तरफ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों को ठण्डी सफेद चादर में समेट लिया है. जिसने पूरी घाटी मे मनमोहक छटा बिखेर दी है.
विषम परिस्थितियों में भी नेहरू पर्वतारोहण सस्थान के जुझारू सदस्यों का जज्बा ही है, जिसने बेहद कम समय में केदारनाथ को नई सूरत देने में सफलता पाई है. पर्यटकों ने भी बीते साल चार धाम की यात्रा में बढ़चढ़ कर भागीदारी की और केदारनाथ जी के दर्शन किए.
हवाई मार्ग से केदारनाथ जी की यात्रा भले ही कुछ घन्टो मे पूरी हो जाती हो मगर बर्फीली घाटियो से जब हेलीकॉप्टर गुजरता है तो सैलानियों की खिड़कियों से झाकती आंखे इन खूबसूरत नजारों को हमेशा के लिए अपनी यादों में बसा लेना चाहती हैं.