
मानवाधिकार संस्थानों की मानें, तो मौत की सजा देने वाले देशों में चीन सबसे ऊपर है। हालांकि, इससे जुड़े आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि चीन में मौत की सजा गुप्त रखी जाती है। संयुक्त राष्ट्र भी मानता है कि चीन में सबसे ज्यादा मौत की सजा दी जाती है। अनुमान लगाया जाता है कि 1993 से 2003 के बीच चीन में 6687 लोगों को मौत की सजा दी गई। अमेरिका और इराक उन पांच प्रमुख देशों में शामिल हैं, जहां सर्वाधिक मौत की सजा दी जाती है। हाल में मंगोलिया और सूरीनाम समेत 105 देश मौत की सजा को खत्म कर चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 60 अन्य देशों में मौत की सजा के प्रावधान हैं, मगर पिछले एक दशक में वहां इस सजा को अमल में नहीं लाया गया है। सिर्फ 28 देश ऐसे हैं, जहां मौत की सजा पिछले एक दशक के दौरान दी गई है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, 2014 में सऊदी में 90 लोगों को मौत की सजा दी गई। जबकि ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, पिछले साल सऊदी अरब में 158 कैदियों को मौत की सजा दी गई। अल निम्र पर लगाए गए आरोपों में सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप भी शामिल था। सिमोनोविक ने कहा, 'अल निम्र को दी गई सजा अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं के उलट है, जिसमें महज गंभीर अपराधों में ही मौत की सजा का प्रावधान है।' हालांकि सऊदी अरब ने शेख के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का दावा किया है। सऊदी अरब, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का निर्वाचित सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने भी सऊदी अरब के विदेश मंत्री को फोन करके मौत की सजा पर अपनी निराशा जाहिर की है।
ईरान में 2014 में 289 लोगों को मौत सजा मिली है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, इनमें ड्रग्स से जुड़े अपराध के मामले भी शामिल हैं। ईरान में हाल में एक महिला, जिसे 16 साल की उम्र में शादी के लिए मजबूर किया गया था, को अपने पति की हत्या के आरोप में मौत की सजा दी गई है। अमेरिका सबसे ज्यादा मौत की सजा देने वाले प्रमुख पांच देशों में शामिल है, इसके बावजूद वहां सरकार इसके सीमित उपयोग को लेकर प्रयास कर रही है। वहां कम से कम 12 प्रांत ऐसे हैं, जहां पर मौत की सजा पर पाबंदी अथवा आधिकारिक नियंत्रण है। कई अन्य प्रांतों के न्यायालय फांसी से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए घातक इंजेक्शन के उपयोग पर विचार कर रहे हैं।