भोपाल। मप्र कैडर 1990 बैच की महिला आईपीएस अफसर अनुराधा शंकर एडीजी रेल को केंद्र ने पांच साल तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए रोक लगाते हुए डी-बार कर दिया है। अब अनुराधा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति और विदेश में ट्रेनिंग पर नहीं जा सकेंगी।
दरअसल अनुराधा के आवेदन पर केंद्र ने उनकी पदस्थापना हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड में चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) के पद पर 25 फरवरी 2015 को की थी, लेकिन उन्होंने ज्वाईनिंग नहीं दी। इसके चलते केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी) मंत्रालय ने ये सख्त कदम उठाया। ये अवधि फरवरी 2015 से अगले 5 साल के लिए है।
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति और विदेश में ट्रेनिंग के लिए अपात्र होने वाली एडीजी रेल अनुराधा प्रदेश की दूसरी महिला आईपीएस अफसर हैं। इसके पहले 25 नवंबर 2013 को नारकोटिक्स की तत्कालीन डीआईजी और वर्तमान आईजी मीनाक्षी शर्मा को तय समय में केंद्र में ज्वाईनिंग न देने पर अपात्र घोषित किया जा चुका है, जबकि राज्य सरकार ने प्रतिबंध हटाने डीओपीटी और गृह मंत्रालय को कई पत्र लिखे, लेकिन प्रतिबंध बरकरार है। ऐसे में माना जा रहा है कि अनुराधा शंकर भी यदि डी-बार समाप्ति का अभ्यावेदन देती हैं तो केंद्र उनकी भी सुनवाई नहीं करेगा।
पदोन्न्ति के फेर में नहीं गईं
सूत्रों का कहना है कि अनुराधा शंकर ने मप्र में पदोन्न्ति के आसार न देखते हुए केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने का आवेदन किया था, लेकिन इसी बीच आईपीएस कैडर रिव्यू होने पर अनुराधा आईजी से पदोन्न्त होकर एडीजी बन गईं। इसके चलते वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं गईं, हालांकि उन्होंने खुद इंकार नहीं किया बल्कि पुलिस मुख्यालय ने अफसरों की कमी का हवाला देते हुए उनकी सेवाएं केंद्र को सौंपने से इंकार कर दिया था।
केंद्र में आईपीएस अफसरों का टोटा
केंद्र में आईपीएस अफसरों की भारी कमी है। वर्तमान में केंद्र सरकार में आईपीएस अफसरों के लिए 4728 पद मंजूर हैं, जबकि इन पदों के विरूद्ध 3798 आईपीएस पूरे देश से प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। ऐसे में 930 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इसी के चलते गृह मंत्रालय के कहने पर डीओपीटी ने सख्त कदम उठाते हुए आईपीएस अफसरों को अपात्र घोषित करना शुरू किया है।
