राकेश दुबे@प्रतिदिन। पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों जैसे रेपो रेट को ६.७५ प्रतिशत, रिवर्स रेपो ५.७५ प्रतिशत, सीआरआर को ४ प्रतिशत पर यथावत रखा है|ऐसा करने का मूल कारण रेपो दर में कुल १.२५ प्रतिशत की कटौती के बावजूद बैंकों द्वारा ग्राहकों को महज ०.६० प्रतिशत का लाभ देना है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि पूर्व में की गई नीतिगत दरों में कटौती से बैंकिंग प्रणाली में कर्ज दर में कटौती करने लायक पर्याप्त नकदी का संचार हुआ था| बैंक कारोबारियों को कर्ज दे सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया| बाजार में नकदी का संचार होने से औद्योगिक उत्पादन एवं उत्पादों की बिक्री में तेजी आने के साथ-साथ विकास दर में वृद्धि, रोजगार अवसरों में इजाफा, अर्थव्यवस्था में मजबूती आदि आ सकती है.| बहरहाल, समस्या के निदान हेतु रिजर्व बैंक जल्द ही बैंकों के लिए नई बेस रेट प्रणाली लागू करेगा| उसके बाद बैंकों को नीतिगत दर में कटौती का फायदा ग्राहकों को तुरंत देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा| रिजर्व बैंक चाहता है कि बचत योजनाओं की ब्याज दरों को बाजार के साथ जोड़ा जाए ताकि मौद्रिक नीति का सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर पड़े|
रिजर्व बैंक, रेपो एवं रिवर्स रेपो द्वारा बाजार की मौद्रिक स्थिति को संतुलित रखता है| वह बाजार में नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रेपो दर में कटौती करता है| इसी तरह रिवर्स रेपो दर की मदद से बाजार में उपलब्ध अतिरिक्त नकदी को सोख लेता है| दोनों का इस्तेमाल बाजार में नकदी पर नियंत्रण करने के लिए किया जाता है| रेपो दर वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से अल्पकालिक जरूरतें पूरी करने के लिए नकदी लेते हैं| रिवर्स रेपो दर ठीक इसका उलटा होती है| वहीं, सीआरआर बैंकों के पास जमा राशि का वह हिस्सा है, जिसे बैंकों को केंद्रीय बैंक के नियंत्रण में रखना होता है|
इस समय सरकार को बैंकों की मदद के लिए आगे आने के साथ-साथ अपने खर्च को भी काबू में रखना होगा, लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है| हालांकि, कर्ज दर में कमी आने से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी, कर्ज की दर पर लगाम लगेगा, बचत करने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलेगा, रोजगार अवसर बढ़ेंगे, विकास की गति तेज होगी और आम लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा| बैंक फिलहाल पूंजी की कमी से जूझ रहे हैं, इसलिए, बड़े बैंक तो कर्ज दर में कटौती कर सकते हैं,
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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