
बूंद-बूंद से सिंचाई
पाल की जमीन सिवनी मंडला मार्ग पर स्थित सिंघोड़ीहार में सड़क से लगी हुई है। उन्नत खेती करने के लिए खेत में ट्यूबवेल भी खुदवाया है, जिसमें जलस्तर भी अच्छा है, लेकिन वह भविष्य को ध्यान में रखते हुए ड्रिल पद्धति से बूंद-बूंद पानी का उपयोग कर खेती कर रहे हैं।
अदरक के साथ पपीता
पाल अपनी 8 एकड़ जमीन पर पहले गेहूं, चना लगाते थे, लेकिन प्रकृति की मार को ध्यान में रखते हुए उद्यानिकी खेती की ओर रुख कर लिया। चार साल से वे बदल-बदल कर खेती करने लगे हैं। इस बार उन्होंने 4 एकड़ में अदरक और छिंदवाड़ा से लाए गए ताइवान के पपीते एक साथ लगाए हैं।
छांव में लगाएंगे टमाटर
पर्याप्त पानी, बेहतर खाद, बीज के चलते अदरक और पपीते के पौधे अच्छे दिखाई दे रहे हैं। अदरक निकलने के बाद उनकी जगह अच्छी किस्म और ज्यादा उत्पादन वाले टमाटर के पौधे लगाएंगे। उन्होंने बताया कि पपीता लगाए जाने से उन्हें दोहरा फायदा है, एक वे दोनों तरफ लगे होने से पॉली हाउस की तरह काम कर टमाटर के पौधों को धूप में मुरझाने से बचाएंगे, वहीं टमाटर के साथ-साथ पपीता से अतिरिक्त आय होगी। वे हर साल लागत से दो गुना उत्पादन लेते हैं। अगले साल वे आठ एकड़ पर अदरक, टमाटर और पपीता लगाएंगे।