नई दिल्ली। आपराधिक मामलों में न्यायिक अधिकारियों को यह देखना चाहिए कि किस मुकदमे को चलाने से लाभ है और किसे चलाने से अदालत के समय की बर्बादी। ऐसे में अदालतों का यह कर्तव्य है कि वह देखें कि किसी भी तरह से अदालत व कानून के समय एवं धन की बर्बादी न हो। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुरेश कैत की खंडपीठ ने दहेज प्रताड़ना के मामले में आरोपी सन्नी अरोड़ा व उसके परिजनों को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने आरोपियों पर दर्ज दहेज प्रताड़ना के केस को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मौजूदा मामले में पीड़िता राशि ग्रोवर का अपने पति सन्नी व उसके परिजनों से समझौता हो गया है। ऐसे में उसने अदालत से अपील की है कि उसके द्वारा दर्ज कराए केस को अब वह आगे बढ़ाना नहीं चाहती, क्योंकि ऐसा करने से उसकी वैवाहिक जिंदगी पर असर पड़ेगा। चूंकि पीड़िता ने इस केस में अभियोजन को सहयोग करने से इंकार कर दिया है, इसलिए इस केस को चलाने पर अदालत के समय की ही बर्बादी होगी, इसलिए आरोपियों पर दर्ज केस को खारिज किया जाता है।
यह था पूरा मामला
पेश मामले के अनुसार सन्नी अरोड़ा व उसके परिजनों पर इसी साल सन्नी की पत्नी राशि ग्रोवर ने राजौरी गार्डन थाना में मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िता का कहना था कि उसकी शादी के बाद से ही सन्नी व उसके परिजन उसे दहेज के लिए तंग करते आ रहे हैं। बाद में इस केस में राशि ने अपने पति सन्नी व उसके परिजनों से 28 सितंबर को समझौता कर लिया और पति के साथ दोबारा से रहने लगी। इस मामले में सन्नी व उसके परिजनों ने हाईकोर्ट मं याचिका दायर कर राशि की ओर से दर्ज कराए गए दहेज प्रताड़ना के केस को खारिज किए जाने की मांग की थी। इस अपील के समर्थन में राशि ने भी 4 नवंबर को अदालत में एक हलफनामा दायर कर अपने समझौते की जानकारी दी थी।
वहीं, इस मामले में अभियोजन पक्ष ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा था कि इस केस में पुलिस सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल कर चुकी है। ऐसे में इस स्टेज पर केस को खारिज नहीं किया जाना चाहिए।