बीपीएल जैसी नाकारा बनती योजनाओ पर पुनर्विचार जरूरी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। यूएनडीपी और भारत सरकार की ओर से देश के कुछ जिलों में किए गए अध्ययन में कई चीजें चौंकानेवाली सामने आई है। मंझोले और कुछ बड़े किसानों ने बताया कि बीपीएल परिवारों को दी जा रही सुविधाओं के कारण खेती-किसानी की हालत बहुत ही खराब होती जा रही है। मजदूर दिन भर बैठे रहते हैं, ताश खेलते हैं, पर कृषि कार्य में नहीं जाना चाहते; क्योंकि यह परिश्रम वाला क्षेत्र है। 

तो सवाल उठता है कि क्या बीपीएल को मिलनेवाली सुविधाओं को खत्म किया जाना चाहिए?  इसके लिए लोगों और सरकार की प्रवृत्ति में बदलाव लाना पहली जरूरत है। सरकार को केंद्रीय कृत योजना की जगह स्थानीय स्तर पर योजना को बनाने का प्रावधान करना चाहिए ताकि वहां के लोगों की जरूरतों के अनुरूप कार्यक्रम बन सकें और उसका नियंत्रण और निगरानी भी स्थानीय निकायों के हाथ में हो। दूसरी ओर, मुफ्त में भोजन की व्यवस्था करने की जगह रोजगार की ऐसी व्यवस्था हो जिसमें हर जरूरतमंद को माकूल रोजगार का साधन मिल सके और वह वहां से अर्जित कमाई से अपना जीवनयापन कर सके। खासकर मजदूरों को भी इस बात के लिए सजग रहना चाहिए कि सरकारों से जो सुविधाएं और रियायतें उन्हें मिली हैं, वह बहुत लंबे संघर्ष का प्रतिफल है और इसका भरपूर उपयोग उन्हें अपने जीवन स्तर पर ऊपर उठाने के लिए होना चाहिए। 

शासन-प्रशासन के स्तर पर इन योजनाओं को यों ही छोड़ना भी गलत है, बल्कि इन योजनाओं के साथ मजदूरों, किसानों, स्थानीय निकायों के जन प्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भी होना चाहिए ताकि इन सहभागियों को पूरी जानकारी और इन योजनाओं की गंभीरता का पता चल सके। इसके साथ ही सघन निगरानी तंत्र को सक्रिय करने की जरूरत है जो इनके दुरुपयोग पर सतत नजर बनाए रखे। सिविल सोसायटी के स्तर पर इस तरह के तंत्र को गठित किया जा सकता है। इन योजनाओं को बनाए रखना एक ओर जहां जरूरतमंद और गरीबी में जीवनयापन कर रही आबादी के लिए जीवनदायिनी जैसा है, वहीं इसे ठीक से लागू कराने की जिम्मेदारी भी सरकार और हर जिम्मेदार नागरिकों को उठाना पड़ेगा। इस तरह की निगरानी और क्रियान्वयन तंत्र के अभाव में और इस प्रवृत्ति का निदान किए बिना न तो कल्याणकारी योजनाओं को बचाया जा सकता है और न ही इसे सुचारु रूप से चलाया ही जा सकता है।

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com 

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