मप्र में सूखी नदियों से भी रेत उत्खनन पर रोक

भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मध्यप्रदेश की नदियों के सूखे हिस्सों में भी खनन पर रोक लगा दी है। एनजीटी का कहना है कि विकास की ग्रोथ रेट केवल जीडीपी के आधार पर नहीं मापें बल्कि इसमें पर्यावरण का भी ध्यान रखें। 

दरसअल, भोपाल में एनजीटी ने अमरकांत मिश्रा की याचिका पर यह सुनवाई की थी. स्टेट लेवल एक्सपर्ट अप्रैजल कमेटी (सीएक) और स्टेट लेवल एन्वायर्नमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (शिया) की तरफ मामले की पैरवी कर रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल पुरूषेंद्र कौरव की उस दलील को भी एनजीटी ने खारिज कर दिया, जिसमें यह तर्क दिया गया कि नदियों का हाई फ्लड लेवल हर साल बदलता है जिससे कई स्थान सूखे होते हैं, इसीलिए रेत खनन की मंजूरी दी जानी चाहिए.

उधर, शिया और सीएक की पैरवी कर रहे वकील ने एनजीटी को बताया कि प्रदेश की जलवायु के हिसाब से नदियों के किनारे रेत खनन के लिए नई पॉलिसी बनाई जा रही है. उन्होंने बताया कि नदी के किनारे रेत खनन के लिए ऐसी पॉलिसी बनायी जा रही है जिससे रेत खनन का काम भी प्रभावित न हो और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचे.
वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील धर्मवीर शर्मा ने एनजीटी से मानसून सीजन के दौरान नदियों के किनारे रेत खनन पर लगी रोक को न हटाने की अपील की गई. मामले की की अगली सुनवाई 22 सितंबर को मुकर्रर की गई है.
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