भोपाल। मिलावट के बारे में आप सुनेंगे तो चौंक जाएंगे, मसालों में मांजा (पतंग उड़ाने वाला धागा) और इंडस्ट्रिअल कैमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा था, तो सरसों तेल को तैयार करने में एसेंस यानी लिक्विड कैमिकल का। ये आपकी सहेत के लिए नुक्सानदायक नहीं बल्कि बेहद खतरनाक हैं। जानलेवा बीमारियों को जन्म देने वाले हैं।
ये खेल बीते एक से डेढ़ साल से धड़ल्ले से चल रहा था। अब जाकर इन फैक्टरियों में ताला जड़ा गया है, लेकिन ये फैक्ट्रियां दुनिया की आखरी 2 फैक्ट्रियां नहीं हैं जहां खतरनाक मिलावट हो रही थी। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में ऐसी कई हत्यारी फैक्ट्रियां चल रहीं हैं।
गुरुवार को छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के चार खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम ने शहर के दो कोनों में संचालित दो फैक्टरियों में दबिश दी। इनके मसालों और तेल की सप्लाई पूरे मप्र, छग सहित महाराष्ट्र तक है।
पहली कार्रवाई- एनआर स्पाइसेस
जगह- विधानसभा रोड, सुबह 11 बजे
इस फैक्टरी में पोहा, नमकीन, मसाले, पास्ता, चिप्स मुख्य रूप से न सिर्फ बनाकर बल्कि पैकेजिंग कर बाजार में उतारा जाता है। रैपिंग भी यहीं होती है। जैसे ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने दबिश दी, आधे से ज्यादा कर्मचारी भाग खड़े हुए। इनमें कई नाबालिग भी थे। पता चला कि फैक्टरी दो साल से संचालित है, जबकि लाइसेंस इन्हें 6 महीने पहले ही दिया गया है। लाइसेंस लोकल 2000 रुपए वाला है, जबकि प्रॉड्क्ट की सप्लाई ओडिशा तक होती है। यानी फैक्टरी सेंट्रल लाइसेंस के दायरे में है।
फैक्टरी संचालक ने कम प्रोडक्ट क्षमता बताकर लाइसेंस लिया है। यह पहली बड़ी गड़बड़ी थी।
दूसरी गड़बड़ी- सभी प्रोडक्ट के पैकेट पर फैक्टरी का पता जगदलपुर लिखा था, जबकि फैक्टरी रायपुर में न सिर्फ संचालित है बल्कि मैन्युफैक्टरिंग और पैकेजिंग दोनों यहीं हो रही थी।
तीसरी और सबसे बड़ी गड़बड़ी जो जानबूझकर की जा रही थी, वह थी इंडस्ट्रिअल कैमिकल का मसालों में इस्तेमाल। यहां वह कैमिकल भी मिला जो मांजा बनाने में इस्तेमाल होता। हमने इसे हाथ में लेकर पानी डालकर चेक भी किया। फैक्टरी को सील कर दिया गया है। संचालक नागराज जैन है, मौके पर उनके बेटे योगेश जैन मिले, जो गलती मानने को तैयार नहीं थे।
दूसरी कार्रवाई- जीके ट्रेडर्स एंड पैकेजिंग
जगह- टाटीबंध, दोपहर 2 बजे
फैक्टरी संचालन के लिए संचालक राजेश अग्रवाल के पास न तो नगर निगम का और न ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का लाइसेंस था। लेकिन वे धड़ल्ले से सालभर से सत्यम और सुंदरम् ब्रांड नाम से सरसों और सोयाबीन रिफाइंड ऑइल बना रहे थे। इन्हें तेल बनाते रंगेहाथ पकड़ा गया। भारी मात्रा में एसेंस मिला, यह वह लिक्विड कैमिकल है जिसे तेल में मिलाया जाता है, जिससे न सिर्फ मात्रा बड़ जाती है बल्कि स्वाद भी। फैक्टरी में बड़े नामी ब्रांड के तेल के पीपे भी मिले, जिनमें भी संचालक मिलावट कर बेचते थे। इस फैक्टरी को भी सील कर दिया गया है। इस फर्म का टर्नओवर भी लाखों में है।