भोपाल। मप्र में बंद हो चुकीं मिलों के मजदूरों का रुका हुआ पैसा अब राज्य सरकार देगी। मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की कमेटी ने यह फैसला कर लिया है। अब सरकार हाईकोर्ट जाकर इसकी अनुमति लेगी ओर फिर बंद मिलों की जमीनें बेचकर जो पैसा आएगा उसे मजदूरों में बांट देगी।
मजदूरों को उनका अधिकार दिलाने की शुरुआत इंदौर की हुकुमचंद और उज्जैन की विनोद मिल से की जाएगी। इसके बाद ग्वालियर की जेसी मिल और मंदसौर की जीवाजीराव शुगर मिल की जमीन बेच कर मजदूरों का पैसा दिया जाएगा। इस संबंध में तैयारी शुरू कर दी गई है।
हाईकोर्ट में जमीन के मालिकाना हक से संबंधित पूरी जानकारी रखने के लिए मुख्य सचिव ने उद्योग विभाग, राजस्व विभाग और संबंधित निकायों के अधिकारियों को समन्वय बैठक कर प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। इसके अलावा इंदौर और उज्जैन कलेक्टर से कहा गया है कि वे हाईकोर्ट में आवेदन लगाकर की गई आपत्ति को वापस लेकर मिल की संपत्ति को बेचने के लिए लिक्विडेटर के अधिकार मांगने की कार्रवाई करें।
यह उद्योग भी हुए बंद
भोपाल की एमपी इलेक्ट्रीकल्स लि.,
मंडीदीप की कोलंबिया इलेक्ट्रोनिक्स लि.,
बालाघाट की गोविंद टायल्स,
रतलाम की सज्जन मिल,
बालघाट की बालघाट सीमेंट लि.,
इंदौर की राजकुमार मिल,
रतलाम की जयंत विटामिन्स,
मक्सी की ट्रायस्टार सोया प्रोडक्टस,
नरसिंहपुर की सतपुड़ा पेपर एंड बोर्ड लि.,
बिदासरिया मिल प्रालि.,
बैतूल की वियरवेल टायर एंड ट्यूब्स लि.,
धार की धार सीमेंट,
वरूण एग्रो प्रोटीन्स,
रतलाम की माहेश्वरी प्रोटीन्स,
धार की जीएम मित्तल स्टील लि.
और झाबुआ की क्वालिटी स्टील एंड फोर्जिंग
मंडीदीप की कोलंबिया इलेक्ट्रोनिक्स लि.,
बालाघाट की गोविंद टायल्स,
रतलाम की सज्जन मिल,
बालघाट की बालघाट सीमेंट लि.,
इंदौर की राजकुमार मिल,
रतलाम की जयंत विटामिन्स,
मक्सी की ट्रायस्टार सोया प्रोडक्टस,
नरसिंहपुर की सतपुड़ा पेपर एंड बोर्ड लि.,
बिदासरिया मिल प्रालि.,
बैतूल की वियरवेल टायर एंड ट्यूब्स लि.,
धार की धार सीमेंट,
वरूण एग्रो प्रोटीन्स,
रतलाम की माहेश्वरी प्रोटीन्स,
धार की जीएम मित्तल स्टील लि.
और झाबुआ की क्वालिटी स्टील एंड फोर्जिंग
बंद होने पर राज्य सरकार ने परिसमापन की अनुशंसा की है। ऐसे में यदि इन उद्योगों में मजदूरों के बकाया का विवाद होता है तो ऐसी स्थिति में हुकुमचंद और विनोद मिल के फार्मूले पर उन्हें राज्य सरकार पैसा देगी।
इसलिए उलझा है मामला
कारखाने बंद होने जमीन बेचने पर सरकार ने लगाई आपत्ति। कहा यह जमीन उद्योग लगाने (ताकायमी कारखाना) के लिए दी थी। कारखाना बंद होने के बाद जमीन पर राज्य सरकार का हक।
हाईकोर्ट ने मजदूरों के भुगतान के लिए जमीन बेचने के आदेश दिए।
रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी के लिक्विडेटर ने संबंधित कारखानों की जमीन बेचने की निलामी करने के प्रयास किए, लेकिन जमीन का उपयोग उद्योग होने के कारण खरीददार नहीं मिले।
इधर, सरकार ने संबंधित कलेक्टरों से हाईकोर्ट की डबल बैंच में जमीन बेचने पर स्टे लगवा दिया।
ऐसे मिलेगा मजदूरों को पैसा
सरकार हाईकोर्ट से स्टे वापिस लेकर अपनी जमीन को खुद बेचने के अधिकार मांगेगी।
कारखाने की जमीन का उपयोग बदलकर इसे आवासीय और व्यावसायिक किया जाएगा।
इससे जमीन की अच्छी खासी कीमत मिलेगी।
इससे मजदूरों को उनके अधिकार का पैसा तो मिलेगा ही साथ ही में सरकार को भी करोड़ों स्र्पए मिलेंगे।
16 हजार से ज्यादा मजदूरों को मिलेगा लाभ
सरकार के इस नए फार्मूले से सालों से बंद चार बड़े कारखानों के 16 हजार 237 मजदूरों को लाभ मिलेगा। इनमें हुकुमचंद मिल के 3600, विनोद मिल के 4200, ग्वालियर जेसी मिल के 8037 और मंदसौर के जीवाजी राव शुगल मिल के 400 मजदूर शामिल हैं।
इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं। इस मामले में सरकार हाईकोर्ट से लिक्विडेटर के अधिकार मांगेगी। जल्द ही बंद पड़ी इन मिल मजदूरों को उनका पैसा मिलेगा।
अंटोनी जेसी डिसा, मुख्य सचिव