भोपाल। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के अधिकारी-कर्मचारी के 1300 पदों पर भर्ती का मामला आरक्षण के मुद्दे पर उलझ गया है। शासकीय योजनाएं चलाने का हवाला देते हुए जहां सहकारिता विभाग ने अपेक्स बैंक से भर्ती में आरक्षण लागू करने को कहा है, वहीं बैंकिंग भर्ती नियमों में आरक्षण प्रावधान न होने से बैंक ने इस पर रजिस्ट्रार सहकारी संस्थाएं से मार्गदर्शन मांग लिया है।
बैंक का तर्क है कि सरकार की अंशपूंजी न होने से बैंक में आरक्षण नियम लागू ही नहीं होते हैं। ज्ञात हो कि भर्ती को लेकर लोकायुक्त में हो चुकी है। प्रदेश के 38 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों में करीब दस साल से भर्तियां नहीं हुई हैं। अध्यक्ष सरकार से भर्ती की इजाजत मांग रहे हैं। सरकार ने अपेक्स बैंक के माध्यम से भर्ती फैसला लिया तो मामला आरक्षण में फंस गया।
सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बैंक हजारों करोड़ रुपए की सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं, इसलिए आरक्षण नियमों का पालन करें, जबकि, बैंक अधिकारियों का कहना है कि आरक्षण नियम बैंक में लागू नहीं होते हैं। दरअसल, वैद्यनाथन पैकेज के मद्देनजर बैंक सरकारी अंशपूंजी लौटा चुके हैं। ऐसे में आरक्षण नियम लागू करने से नई परंपरा शुरू हो जाएगी और सहकारी संस्थाओं के सरकारीकरण के आरोप भी लग सकते हैं।
प्रशासक की मिल चुकी है अनुमति
अपेक्स बैंक को भर्ती के लिए प्रशासक मनीष श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाले बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है। भर्ती में पादर्शिता के लिए बैंक ने बैंकिंग भर्ती बोर्ड के माध्यम से परीक्षा का फैसला किया है। प्रबंध संचालक दो बार भर्ती बोर्ड के पदाधिकारियों से भेंटकर प्रस्ताव भी दे चुके हैं।
संविलियन के लिए आदेश का इंतजार
राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के 1400 अधिकारी-कर्मचारी संविलियन के लिए बैंक बंद होने के औपचारिक आदेश का इंतजार कर रहे हैं। कैबिनेट ये निर्णय डेढ़ माह पहले ले चुकी है, जबकि आदेश जारी नहीं हुए हैं। आदेश जारी होने के बाद संविलियन की नीति को मंजूर कराया जाएगा। बैंक कर्मियों की सूची सभी बैंकों को भेजी जा चुकी है।