व्यापमं | सुप्रीम कोर्ट ने CBI से पूछा: कब तक हाथ में ले लोगे पूरी जांच

नईदिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्रीय जांच ब्यूरो से कहा कि व्यापमं घोटाले से संबंधित सारे मामलों की जांच अपने हाथ में लेने की अवधि के बारे में एक सप्ताह के भीतर उसे सूचित किया जाये ताकि इनकी निगरानी के मुद्दे पर निर्णय लिया जा सके। प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि कब तक आप (सीबीआई) इस जांच को अपने हाथ में ले लेंगे जो इस समय मध्य प्रदेश के विशेष जांच दल के पास है। हमें निर्णय लेना है कि इसकी निगरानी हमें करनी चाहिए या किसी अन्य को निगरानी करने के लिये कहा जाये और किन पहलुओं की निगरानी की आवश्यकता है।’’

न्यायालय ने अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह से जानना चाहा कि सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने के लिये कब तक वकील की नियुक्ति हो जायेगी। न्यायालय ने इसके साथ इस मामले की सुनवाई 31 जुलाई के लिये स्थगित कर दी। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन नागेश्वर राव ने कहा कि इस घोटाले से जुड़े मामलों की संख्या को देखते हुये सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने के लिये कई वकीलों की आवश्यकता होगी। अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने कहा कि इस बारे में अगले शुक्रवार तक ही वह जवाब देने की स्थिति में होंगे।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तंखा ने कहा कि इस मामले में न्यायालय की मदद के लिये न्याय मित्र नियुक्त किया जाये। सिंह ने इस मामले की शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई की जांच का अनुरोध न्यायालय से किया है। न्यायालय ने कहा कि सीबीआई का जवाब मिलने के बाद ही इन सभी पहलुओं पर विचार किया जा सकता है।

न्यायालय ने इसी मामले में आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास की याचिका पहले से लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न कर दी। विश्वास ने भी न्यायालय की निगरानी में सीबीआई की जांच कराने और जांच दल में व्हिसिल ब्लोअर को भी शामिल करने का अनुरोध किया है। शीर्ष अदालत ने नौ जुलाई को व्यापमं घोटाले के सभी मामले और इनसे जुड़ी कथित मौत के सारे मामलों को केन्द्रीय जांच ब्यूरो को हस्तांतरित कर दिया था। न्यायालय ने इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार से जानना चाहा था कि इस घोटाले में कथित रूप में संलिप्त प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज होनी चाहिए।

न्यायालय ने यादव को राज्यपाल के पद से हटाने के अनुरोध पर केन्द्र और मध्य प्रदेश सरकार के साथ ही राज्यपाल राम नरेश यादव को भी नोटिस जारी किया था। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा व्यापमं घोटाले के सारे मामलों की जांच विशेष जांच दल और विशेष कार्य बल से लेकर केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने की मांग स्वीकार किये जाने के बाद न्यायालय ने इन मामलों की जांच ब्यूरो को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था।

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