भोपाल। राज्यपाल रामनरेश यादव की विदाई के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें भी बढ़ेंगी। अभी सीएम को पार्टी का समर्थन मिलता हुआ दिख रहा है, परंतु सच यह भी है कि शिवराज का ग्राफ शेयर बाजार की तरह धड़ाम से गिरा है। जो लोग साथ दिखाई दे रहे हैं, वो भी साथ हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता। पहली लिस्ट में ये हैं मप्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार:
कैलाश विजयवर्गीय
पार्टी के अंदरूनी समीकरणों के आधार पर कैलाश को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उन्हें अमित शाह की गुड बुक में माना जाता है। हाल ही में न सिर्फ उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया बल्कि पश्चिम बंगाल का प्रभारी पद भी दिया गया है। इससे पहले उन्हें हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था। सबसे अहम यह कि कैलाश पहले से ही विधायक हैं। अगर उन्हें सीएम बनाया जाता है तो दोबारा चुनाव कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
निगेटिव : कई बार वे अपने बेवजह के बयानों से विवादों में भी रहे हैं। एक वक्त में तो उनका नाम पेंशन घोटाले से भी जोड़ा गया था। यही नहीं, कई नेताओं के मुकाबले वे जूनियर भी हैं। कभी ताई, कभी भाई और कभी मामा से संघर्ष चलता रहा है। मोदी को कैलाश विजयवर्गीय के नाम पर आपत्ति हो सकती है।
थावरचंद गहलोत
केंद्रीय सामाजिक आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को भी मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। वे दलित नेता हैं। ऐसे में अगर पार्टी उन्हें यह पद देती है तो इससे पार्टी यह दावा कर सकती है कि वह दलित समुदाय के नेताओं को आगे बढ़ाना चाहती है। गहलोत लंबे वक्त तक पार्टी के महासचिव रहे हैं और संसदीय बोर्ड में भी सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं। लेकिन वे राज्यसभा के सदस्य हैं और केंद्र में मंत्री भी हैं। पार्टी में उन्हें आडवाणी और मोदी खेमे दोनों के ही समीप माना जाता है।
निगेटिव: उनके साथ दिक्कत यह है कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने पर सोचा जाता है तो पार्टी को उन्हें विधानसभा का चुनाव लड़ाना पड़ेगा।
नरेंद्र सिंह तोमर
मध्य प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और अब मोदी कैबिनेट के सदस्य नरेंद्र सिंह तोमर को भी इसी पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। तोमर के पास संगठन का अनुभव भी है और उन्हें पार्टी में शाह टीम से माना जाता है।
निगेटिव : उनके साथ दिक्कत यह है कि वे लोकसभा के सदस्य हैं। ऐसे में अगर उन्हें सीएम बनाया जाता है तो दो जगह पार्टी को चुनाव कराने होंगे। तोमर की खाली होने वाली लोकसभा सीट पर भी चुनाव कराना होगा लेकिन जिस तरह के हालात हैं, उससे शायद ही पार्टी दो-दो उपचुनाव कराने का जोखिम ले।
बाबू लाल गौर
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और इस वक्त शिवराज कैबिनेट में बतौर नंबर टू के रूप में काम कर रहे गौर भी दावेदार हो सकते हैं। उनके पास सरकार चलाने का अनुभव है।
निगेटिव : विवादित बयान और उम्र के लिहाज से पार्टी शायद ही उन पर दांव लगाए।
उमा भारती
उमा भारती कायदे से इस वक्त मुख्यमंत्री पद की सबसे बड़ी दावेदार होतीं लेकिन अब जो हालात हैं, उनमें वह इस पद से काफी दूर मानी जा रही हैं।
निगेटिव : इस वक्त वह मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर हैं और राज्य से सांसद भी नहीं हैं।
एक अन्य
ऐसा भी हो सकता है कि एकदम नया नाम निकलकर सामने आए और मप्र में कोई एक सीट खाली करवाकर उसे विधानसभा चुनाव लड़वाया जाए। शिवराज सिंह भी ऐसे ही आए थे।
