कलेक्टरों ने चुनाव में कर डाला मनमाना खर्चा, 20 जिलों का पेमेंट रुका

ग्वालियर। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जिले के निर्वाचन कार्यालयों द्वारा निर्धारित बजट से 10 गुना अधिक खर्च किया गया है। टेंट और बिजली की व्यवस्था कराने में ही ग्वालियर सहित प्रदेश के 20 से अधिक जिलों ने भुगतान के लिए 80 लाख से लेकर डेढ़ करोड़ रुपए तक का बिल लगाया है। जबकि निर्वाचन आयोग के निर्धारित बजट के अनुसार टेंट और बिजली के लिए अधिकतम 7 लाख रुपए खर्च करने का प्रावधान है। निर्धारित प्रावधान से 10 गुना अधिक बिल देख वित्त विभाग ने इनके भुगतान पर रोक लगा दी है।

वित्त विभाग ने ग्वालियर कलेक्टर सहित प्रदेश के 20 जिलों के कलेक्टरों से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है। वित्त विभाग जानना चाहता है कि टेंट और बिजली के बिलों के भुगतान के लिए 80 लाख से डेढ़ करोड़ तक का बजट कैसे बन गया। वित्त विभाग का मानना है कि निर्धारित बजट 7 लाख से 10 लाख रुपए तक खर्च करना समझ में आता है लेकिन किसी जिले का खर्च 80 लाख तो किसी का खर्च एक करोड़ से भी अधिक होना समझ से परे है। इसलिए वित्त विभाग ने जिलों का भुगतान रोककर कलेक्टरों से चुनाव कार्यों में हुए खर्च का ब्यौरा अलग से मांगा है।

35 लाख टेंट के तो बिजली भुगतान के मांगे 45 लाख
ग्वालियर निर्वाचन कार्यालय ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टेंट और बिजली के बिलों के भुगतान के लिए बजट मांगा है। इसमें टेंट के भुगतान के लिए 35 लाख तो बिजली के बिलों के भुगतान के लिए 45 लाख रुपए निर्वाचन आयोग से मांगे। निर्वाचन आयोग ने जब बजट के लिए प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा तो वित्त विभाग ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए भुगतान पर रोक लगा दी।

भोपाल ने डेढ़ करोड़ व इंदौर ने 60 लाख रुपए मांगे
प्रदेश की राजधानी भोपाल के निर्वाचन कार्यालय ने तो चुनावी खर्च के भुगतान के लिए डेढ़ करोड़ रुपए मांगे है। वहीं इंदौर ने भी 60 लाख रुपए का बजट बनाकर निर्वाचन आयोग को भेजा है। ग्वालियर, भोपाल और इंदौर की तरह की प्रदेश के ऐसे 20 जिले हैं जहां के निर्वाचन कार्यालयों ने चुनाव कराने में निर्धारित बजट से 10 से 15 गुना तक खर्च करना दिखाया है। इन सभी जिलों के भुगतान पर फिलहाल वित्त विभाग द्वारा रोक लगाई गई है।

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ग्वालियर, भोपाल, इंदौर सहित प्रदेश के अधिकतर जिलों में निर्धारित बजट से अधिक खर्च हुआ है। इसको लेकर वित्त विभाग ने इन जिलों के कलेक्टरों से खर्च का ब्यौरा मांगा है। खर्च के ब्यौरों से संतुष्ट होने पर संबंधित जिलों का भुगतान कर दिया जाएगा।
एसएस बंसल,
ज्वाइंट सीईओ, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय

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