जनशिक्षक जेब से पैसा लगा जिम्मेदारी निभा रहे हैं

बैतूल। जनपद शिक्षा केंद्र में व्यवस्थाओं, शिक्षा का स्तर तथा गुणवत्ता को जांचने वाले जनशिक्षकों को पिछले दो माह से वेतन नहीं मिला है। वहीं पिछले तीन साल से टीए, डीए और एक साल से माॅनीटरिंग की राशि नहीं मिल पाई है। जनशिक्षकों को अपने जेब से पैसा लगाकर कार्य करना पड़ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि जल्द ही उन्हें वेतन तथा रुका हुआ अन्य पैसा नहीं मिला तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे।

जनपद शिक्षा केंद्र में कर्मचारियों की इस फजीहत का सिलसिला पिछले करीब दो साल से चल रहा है। इस बात को लेकर कई बार जन शिक्षक सहित कर्मचारी संगठन वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी शिकायत भी दे चुके है, लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई पुख्ता कार्रवाई सामने नहीं आई है। इस बात को लेकर अब कर्मचारियों सहित संगठन में भी नाराजगी पनप रही है।

जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत डेढ़ दर्जन से ज्यादा जन शिक्षक, आधा दर्जन बीएससी तथा आधा दर्जन से अधिक कार्यालयीन कर्मचारी कार्यरत है। इनमें जनशिक्षकों का कार्य स्कूलों की रोजाना मॉनीटरिंग तथा शासन की विभिन्न योजनाओं का स्कूलों में सुचारू क्रियान्वयन करवाना है। वहीं स्कूलों में निर्मित होने वाली विभिन्न इमारतों सहित मध्यान्ह भोजन एवं जाति प्रमाण-पत्र सहित अन्य कार्यों की मानीटरिंग का जिम्मा भी जनशिक्षकों पर ही रहता है। एक जन शिक्षक पर करीब 20 से अधिक स्कूलों की जिम्मेदारी रहती है। जनशिक्षक एनके वाघमारे, आरके अदिरक, इंद्रकुमार इन्हें, मोहन कापसे सहित अन्य का कहना है कि काम का बोझा अधिक रहने के बाद भी पिछले तीन साल से जनशिक्षकों को वेतन सहित अन्य भत्ते देने में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। कई बार इस बात की शिकायत करने के बाद भी शिक्षकों को राहत नहीं मिल रही है।

जल्द करेंगे हड़ताल
एक सप्ताह में यदि जनशिक्षकों सहित कार्यालयीन स्टाफ का वेतन सहित अन्य राशि नहीं दी गई तो कर्मचारी काम-काज बंद कर हड़ताल शुरू करेंगे। रामानंद बेले, जनशिक्षक एवं तहसील सचिव राज्य कर्मचारी संघ

पदािधकारी भी करेंगे प्रदर्शन
शिक्षा विभाग में यह लापरवाही पिछले तीन साल से सामने आ रही है। इसके कारण कर्मचारी प्रभावित हो रहे है। सप्ताह भर में कार्रवाई सामने नहीं आई तो शिक्षा विभाग के कर्मचारियों सहित राज्य कर्मचारी संघ के अन्य पदाधिकारी भी इस प्रदर्शन में शामिल रहेंगे। संजय सोनी, तहसील अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संघ

जनशिक्षकों सहित स्टाफ की समस्या से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया है। आवंटन मिलते ही कर्मचारियों को वेतन देने की कार्रवाई की जाएगी। आरएस भास्कर, बीआरसी, जनपद शिक्षा केंद्र, आमला

चार माह बाद मिलता है एक माह का वेतन
जनशिक्षक सुनील घोघरे, निशपाल ठाकुर सहित अन्य का कहना है कि जनशिक्षकों को दो माह यानी अप्रैल एवं मई का वेतन जून माह का पखवाड़ा बीतने के बाद भी नहीं मिल पाया है। साल भर से यही स्थिति बनी हुई है कि तीन से चार माह बीतने पर एक माह का वेतन मिल पाता है। इसके अलावा जनशिक्षकों को पिछले एक साल से मानीटरिंग का पैसा भी नहीं मिला है। जबकि शिक्षकों को रोजाना ही किसी न किसी स्कूल की मानीटरिंग करना होता है। इस पर शिक्षकों का पेट्रोल भी खर्च होता है। यह सारा खर्च पिछले एक साल से शिक्षक अपने वेतन से खर्च करते आ रहे है। यही हालात टीए, डीए के भी है। शिक्षकों का कहना है कि जिले की बैठक, मुख्यालय की बैठक तथा डाइट प्रभातपट्टन की बैठक सहित अन्य बैठकों में इन जनशिक्षकों को बुलाया जाता है। इसका टीए, डीए भी शिक्षकों को पिछले तीन साल से नहीं मिल पाया है।

परेशान कर रहे साहूकार
जनशिक्षक सुरेंद्र उपराले सहित अन्य का कहना है कि पिछले तीन साल से यह स्थिति निर्मित होने के कारण अधिकांश जनशिक्षक कर्ज के बोझ में दब गए है। इसके कारण कहीं शिक्षकों को साहूकार तो ही दुकानदार पैसों के लिए परेशान कर रहे है। शिक्षक इन हालातों से उबर ही नहीं पाए है कि स्कूलों की शुरुआत होने के बाद उनके सामने फिर माॅनीटरिंग का जिम्मा आ गया है। इसके कारण शिक्षकों की दिक्कत और ज्यादा बढ़ गई है। शिक्षकों का कहना है कि इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने पर उनके द्वारा भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है। इससे यह परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है। शिक्षकों का कहना है कि केवल बैतूल जिले के अलावा आसपास के अन्य जिलो में जनशिक्षकों को यह वेतन नियमित रूप से दिया जा रहा है।

कमिश्नर ने दिया था भरोसा, नहीं हुई कार्रवाई
जनशिक्षकों ने बताया कि 6 जून को स्थानीय जनशिक्षको एवं बीएसी ने कमिश्नर को भी अपनी समस्या से अवगत कराया। इस पर कमिश्नर ने जल्द ही समस्या हल करने का भरोसा दिया था, लेकिन आज तारीख तक भी इस संबंध में कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है।

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