व्यापमं घोटाला: पुलिस अधिकारी या प्राइमरी के मास्टर

उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। क्षमा कीजिए, शब्द चुभन दे रहे हैं, डॉ. ऋचा जौहरी के दूसरी बार फरार हो जाने के बाद इससे कम नुकीले शब्दों का इस्तेमाल भी तो नहीं किया जा सकता। व्यापमं घोटाले की आरोपी डॉ. ऋचा जौहरी फिर से फरार हो गई है। इससे पहले भी उसने एसआईटी को चकमा दिया था। 

पहली बार क्या हुआ
सबसे पहली बार जब डॉ. ऋचा जौहरी को जबलपुर से उसके पिता के साथ पकड़ा गया तो अपने बेटे की बीमारी के नाम पर उसने इमोशनल ड्रामा किया। हंगामा मचाया। एसआईटी डर गई और उसे छोड़ दिया। डॉ. ऋचा जौहरी ने वादा किया था कि 2 दिन बाद वो समर्पण कर देगी लेकिन जब एसआईटी उसे पकड़ने के लिए वापस जबलपुर पहुंची तो पता चला कि वो नर्स का भेष बदलकर फरार हो गई। 

हाईकोर्ट में लगाई याचिका 
इसके बाद डॉ. ऋचा जौहरी ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी पर स्टे दिया और केस हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच को सौंप दिया। साथ ही डॉ. ऋचा जौहरी को निर्देशित किया कि वो एसआईटी के आफिस पहुंचकर अपने बयान रिकार्ड कराए। हाईकोर्ट के आदेश पर ऋचा रविवार को एसआईटी के दफ्तर पहुंची। उसने एसआईटी के कुछ सवालों के जवाब दिए और यह कहकर चली गई उसके बच्चे की तबीयत खराब है। दूसरे दिन भी दोपहर को बच्चे को गोद में लेकर एसआईटी की दफ्तर पहुंची, लेकिन इस बार पूरी तरह से तय करके आई थी कि उसे एसआईटी के किसी भी सवाल का जवाब सीधे नहीं देना है। 23 जून तक उसे गिरफ्तार नहीं किए जाने का हाईकोर्ट का आदेश था। इसलिए अरेस्ट नहीं किया गया। 

दूसरी बार हुई फरार
एसआईटी 23 जून को न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा कर रही थी। हाईकोर्ट ने जैसे ही याचिका खारिज की। एसआईटी उसे अरेस्ट करने होटल पहुंची परंतु डॉ. ऋचा जौहरी फरार हो चुकी थी। 

अब टारगेट पर SIT
दूसरी बार डॉ. ऋचा जौहरी के फरार हो जाने के बाद एसआईटी सीधे आम आदमी के निशाने पर आ गई है। सवाल यह है कि 
  1. जब पहली बार अपने बेटे के बीमार होने के बहाने उसने गिरफ्तारी को स्थगित करने का निवेदन किया था, तब डॉ. ऋचा जौहरी को लोकल पुलिस की निगरानी में क्यों नहीं सौंपा गया। उसे उसी के घर में नजबंद क्यों नहीं किया गया। क्यों कोई पुलिस अधिकारी उस पर लगातार निगरानी नहीं रख रहा था। जबकि इसी एसआईटी ने इससे पहले मंडप से दूल्हे को अरेस्ट किया है। उसे फेरे लेने का वक्त भी नहीं दिया गया। फिर डॉ. ऋचा जौहरी पर इतना रहम क्यों किया गया। 
  2. दूसरा सवाल यह कि जब संडे को डॉ. ऋचा जौहरी ग्वालियर आ गई थी तो लगातार उसकी निगरानी क्यों नहीं की गई। वो एसआईटी के दायरे में थी, यदि पुलिस चाहती तो वो फरार होना तो दूर की बात, होटल से बाहर भी नहीं निकल पाती। 
  3. एसआर्इ्टी कोर्ट में डॉ. ऋचा जौहरी की जमानत याचिका का विरोध कर रही थी, और लगभग सभी को मालूम था कि व्यापमं घोटाले में जमानतें नहीं मिल रहीं हैं, फिर डॉ. ऋचा जौहरी को आजाद घूमने के लिए क्यों छोड़ दिया गया। 
  4. उसे अरेस्ट नहीं किया जा सकता था, परंतु उसका पीछा करने की आजादी तो एसआईटी के पास भी थी। एक टीम उसके पीछे निगरानी के लिए क्यों नहीं लगाई गई। 
  5. अब एसआईटी के अधिकारी कुछ इस तरह के मासूम जवाब दे रहे हैं, मानो उन्हे मुल्जिम पकड़ना आता ही नहीं। वो तो इनोसेंट हैं, सारी गलती डॉ रिचा की ही है। उसे समर्पण करने आना चाहिए था। 
  6. एसआईटी ग्वालियर के अधिकारियों ने कई भूमिगत आरोपियों को अरेस्ट किया है, इसलिए उनकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता, परंतु सवाल यह है कि आखिर क्या कारण है कि एसआईटी डॉ. ऋचा जौहरी के मामले में कुछ अतिरिक्त लापरवाह और विशेष रूप से संवेदनशीलता दिखा रही है। 
  7. सवाल यह है कि डॉ. ऋचा जौहरी फरार हो गई है या उसे फरार हो जाने दिया गया है। 


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