ग्वालियर। हमेशा स्कूल में टॉप आने वाली रौनक राजपूत नेट पर अपनी 10वीं कक्षा का रिजल्ट देख बेहोश हो गई थी। एक माह तक वह तनाव में रही। उसकी यह हालत देखकर माता-पिता भी इतने चिंतित थे कि वह रात में बेटी की गतिविधियों पर निगाह रख रहे थे।
जब 5 दिन पहले भोपाल से उत्तरपुस्तिका की फोटोकॉपी आई, तब छात्रा और उसके परिजन ने राहत की सांस ली। जब रिजल्ट घोषित हुआ था तो रौनक को सोशल साइंस में 20 अंक मिले थे, जबकि अन्य विषयों में डी (विशेष योग्यता) लगी थी। 750 रु. खर्च कर जब उत्तरपुस्तिका की फोटोकॉपी मंगाई गई तो उसमें परीक्षक ने छात्रा को सोशल साइंस में 65 अंक दिए थे। अब छात्रा करेक्शन का इंतजार कर रही है।
गोल पहाड़िया निवासी राजवीर राजपूत की बेटी रौनक ने एसआर मेमोरियल स्कूल, नवग्रह कॉलोनी गोल पहाड़िया से 10वीं की परीक्षा दी थी। 14 मई को जब उसने नेट पर रिजल्ट देखा तो तनाव में आ गई। इसी तनाव की वजह से वह घर पहुंचते ही बेहोश हो गई।
बाद में टीचरों ने परिजन को समझाया कि वह 750 रुपए जमा कर माशिमं से उत्तरपुस्तिका की एक फोटोकॉपी मंगवा लें। परिजन ने जब कॉपी मंगाई तो उन्होंने देखा कि उत्तरपुस्तिका में छात्रा को 20 नहीं बल्कि 65 अंक दिए गए थे। माशिमं की इस लापरवाही की सजा छात्रा को भुगतना पड़ी।
छात्रा की परेशानी अभी भी खत्म नहीं हुई है, क्योंकि मार्कशीट में संशोधन के लिए उसे लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।
आवेदन देंगे
नेट से मार्कशीट निकलवाई तो सोशल साइंस में 20 अंक देखकर मेरी बेटी बेहोश हो गई थी। हम भी बहुत तनाव में थे। अब पता चला कि उसे 65 अंक मिले हैं। अब मार्कशीट में संशोधन के लिए आवेदन देंगे। -राजवीर सिंह, पिता