सीधी। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक अंतर्गत प्रधान कार्यालय सीधी के ट्रैक्टर घोटाले की फाइलें दबाने में पुलिस विभाग भी लगी हुई है। सीधी एवं सिंगरौली जिलान्तर्गत करीब 21 ट्रैक्टरों के वितरण के फर्जीवाड़ा का खुलासा होने के बाद मामला सहकारिता मंत्री तक पहुंचा था। जहां कि मंत्री द्वारा कलेक्टर को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश कलेक्टर को दिया गया था लेकिन पखवाड़े भर बाद भी एफआईआर दर्ज नही हो पा रहा है।
इस मामले में मास्टर माइंड प्रधान कार्यालय के लिपिक सुरेश पाण्डेय की भूमिका भी संदेह के घेरे में मानी जा रही है। जिनके मार्फत शाखा प्रबंधकों के माध्यम से ट्रैक्टर घोटाला किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। कलेक्टर द्वारा ट्रैक्टर ऋण वितरण में छानबीन के बाद जो स्थितियां सामने आई है उसमें प्रधान कार्यालय के लिपिक सुरेश पाण्डेय की भूमिका प्रमुख रूप से मानी जा रही है जो कि ट्रैक्टर घोटाले के मास्टर माइंड की भूमिका निभाने में माहिर रहे हैं।
ऐसी स्थिति में सीधी एंव सिंगरौली जिले के 21 ट्रैक्टरों की फर्जीवाड़ा वितरण में जो स्थितियां मप्र शासन के सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव तक शिकायत की गई थी। जिस मामले में मंत्री द्वारा कलेक्टर को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का फरमान कलेक्टर सीधी को दिया गया था। कलेक्टर द्वारा पुलिस अधीक्षक को पत्र जारी कर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। जिसकी विवेचना डीएसपी आरएम त्रिपाठी द्वारा किया जा रहा है लेकिन उनके द्वारा भी बैंक के सीईओ द्वारा दस्तावेज उपलब्ध न होने की बहानेबाजी कर मामला पंजीबद्ध करने से परहेज देखने को मिल रहा है। जबकि इस मामले में समिति प्रबंधक एवं शाखा प्रबंधकों समेत सबसे ज्यादा दोषी बैंक कार्यालय के प्रधान लिपिक सुरेश पाण्डेय हैं। जिनके मार्फत इस तरह का फर्जीवाड़ा होने की जानकारी मिली है।
जाहिर है कि ट्रैक्टर ऋण वितरण के प्रभारी होने के कारण उनके द्वारा यदि राशि स्वीकृति न की जाती तो यह फर्जीवाड़ा सामने उजागर न होता लेकिन शाखा प्रबंधकों एवं डीलर एजेंसी से रकम हासिल करने की वजह से लिपिक द्वारा ट्रैक्टर ऋण वितरण में अनियमितता की गई है। जिसकी बदौलत प्रशासन के सामने इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं। इसके वावजूद भी दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज न करने का मामला आम लेागों की समझ से परे है।
ट्रैक्टर ऋण वितरण में डीलर द्वारा कागजातों का अवलोकन किए बिना प्रधान कार्यालय के लिपिक से इस तरह का कारनामा कराया गया है। जिस वजह से फर्जीवाड़े में लिप्त लिपिक श्री पाण्डेय के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नही की जा रही है। ऐसी स्थिति में जब तक पुलिस द्वारा घोटाले के मास्टरमाइंड लिपिक के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर उनसे पूछताछ नही की जाएगी तब तक सच्चाई का पर्दाफाश होना मुश्किल दिख रहा है। उधर डीएसपी द्वारा बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा दस्तावेज न देने की बहानेबाजी कर मामले में टालमटोल किया जा रहा है। जबकि यदि वे चाहते तो इन मामले में पूरा दस्तावेज हासिल कर सकते हैं। मंत्री के आदेश के वावजूद भी ट्रैक्टर ऋण वितरण के घोटाले में जहां कि लाखो रूपये का पर्दाफाश का मामला उजागर हुआ था उस पर भी जिम्मेदार पुलिस विभाग मामले केा दबाने मे जुटी है। ऐसी स्थिति में यह नही लगता कि घोटाले का पर्दाफाश हेा पाएगा।
सीईओ ने नही दिए दस्तावेज: त्रिपाठी
उप पुलिस अधीक्षक आर एम त्रिपाठी का कहना है कि मेरे द्वारा बैंक के सीईओ ज्ञानेन्द्र पाण्डेय से कई बार फर्जी ट्रैक्टर ऋण घोटाले के मामले मे दस्तावेज की मांग की जा चुकी है लेकिन वे जानकारी नही दे रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि सीईओ द्वारा यह कहा गया कि उन तक अभी कोई जानकारी नही ली गई। इस पर डीएसपी ने कहा कि वे झूठ बोल रहे हैं। दूसरे प्रकरण के मामले में जरूर मेरे कार्यालय आए थे लेकिन ट्रैक्टर ऋण वितरण की जानकारी का विवरण देने से वे कतरा रहे है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जानकारी सीईओ के पास है जिस वजह से जब तक दस्तावेज हासिल नही होगा हम कुछ नही कर सकते हैं।
मांगी गई है दस्तावेज: ज्ञानेन्द्र
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सीधी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि ट्रैक्टर ऋण वितरण के मामले में शाखा प्रबंधकों से दस्तावेज की मांग की गई है। जहंा कि मामला प्रकाश में आया है कि पोड़ी एवं सेमरिया में एक-एक ट्रैक्टर के फर्जीवाड़े में संबंधित काश्तकार से डीलर द्वारा ट्रैक्टर मरम्मत के नाम पर एजेंसी में लाने के बाद खड़ा करा लिया गया है। इसके अलावा गांधीग्राम सहित अन्य बैंकों में ट्रैक्टर उपलब्ध होने की जानकारी दी गई है। ऐसी स्थिति में पूरे मामले की जानकारी का अवलोकन किए बगैर एफआईआर कैसे कराया जा सकता है।
डीलर की है मुख्य भूमिका
ट्रैक्टर ऋण वितरण में बैंक के प्रधान लिपिक द्वारा गहरवार ट्रैक्टर एजेंसी से संाठ गांठ कर फर्जी रूप से ट्रैक्टर ऋण वितरण कराने का मामला प्रकाश में आया है। जिस मामले में एक दो शिकायतें डीएसपी तक पहुंचने के बाद वहां छापामार कार्रवाई भी गत दिवस की जा चुकी है। सूत्रों की मानें तो डीलर द्वारा काश्तकारों को ट्रैक्टर दिए बगैर उनके नाम राशि आहरित की गई है। वहीं सेमरिया, मझौली शाखा अंतर्गत एक-एक ट्रैक्टर मरम्मत के नाम पर डीलर एजेंसी में आने के बाद खड़ी करा लिया गया है। यह माना जा रहा है कि डीलर एजेंसी की भूमिका इस फर्जीवाड़े में प्रमुख रूप से है। जिसमें कि बैंक के प्रधान लिपिक सुरेश पाण्डेय की मिलीभगत के कारण इस तरह का कारनामा किया गया है।