जेलर की जालसाजी: व्यापमं के मुल्जिम को नियमविरुद्ध आराम

सागर। सागर के द्वितीय सत्र न्यायाधीश अजित सिंह ने बुधवार को सेंट्रल जेल भोपाल के अधीक्षक एमआर पटेल के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अधीक्षक के खिलाफ तल्ख टिप्पणी भी की है। पटेल भोपाल सेंट्रल जेल में बंद व्यापमं फर्जीवाड़े के आरोपी को कोर्ट में पेश नहीं कर रहे हैं। 

अपर लोक अभियोजक रामअवतार तिवारी ने बताया कि भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद पीएमटी फर्जीवाड़े मामले में प्रभात चौधरी को कोर्ट में पेश नहीं किया जा रहा है। कई बार सूचना भेजने के बाद भी कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया गया। बुधवार को पीएमटी फर्जीवाड़े के सत्र प्रकरण क्रमांक 349/14 राज्य शासन विरुद्ध योगेंद्र सचान व अन्य का मामला आरोप तय होने के लिए विचाराधीन था। इस प्रकरण में प्रभात चौधरी जो रैकेटियर की हैसियत से प्रकरण में आरोपित है व व्यापमं के एक अन्य मामले में सेंट्रल जेल भोपाल में बंद है। इसके हाजिर होने के लिए 21 अप्रैल, 25 अप्रैल, 1 मई, 5 मई एवं 14 मई को जेल अधीक्षक भोपाल को आदेशित किया गया था। 14 मई को आरोपी को हाजिर न करने पर कोर्ट द्वारा जेल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। 

यह प्रकरण 21 मई, बुधवार को प्रभात चौधरी की उपस्थिति के लिए एवं कारण बताओ नोटिस के जवाब के लिए नियत था। बावजूद इसके आरोपी को कोर्ट में पेश नहीं किया गया, न ही इस संबंध में जेल अधीक्षक ने जवाब पेश किया। जेल अधीक्षक ने कोर्ट को पत्र भेजकर कहा कि पुलिस बल उपलब्ध न होने से आरोपी को उपस्थित नहीं किया जा सकता, जबकि सेंट्रल जेल भोपाल में ही इसी कोर्ट में विचाराधीन अन्य सत्र प्रकरण क्रमांक 105/11 असद खां व अन्य पांच में अभियुक्त बबलू गलकट को बुधवार को ही सेंट्रल जेल भोपाल से ही लाकर हाजिर किया गया। इसको सशस्त्र पुलिस बल में सहायक उपनिरीक्षक रामदेनी राय , प्रधान आरक्षक गुलाब, आरक्षक सुनील व धर्मेंद्र लेकर आए। यही पुलिस बल प्रभात चौधरी को भी साथ लेकर आ सकता था। उक्त तथ्यों को देखते हुए कोर्ट का यह मत है कि जेल अधीक्षक भोपाल एमआर पटेल न्यायिक कार्रवाई में व्यवधान डाल रहे हैं। उनका यह कृत्य भादिव की धारा 173 एवं 219 की श्रेणी में आता है। लिहाजा जेल अधीक्षक के खिलाफ सक्षम न्यायालय या सीजेएम कोर्ट सागर को परिवाद प्रेषित किया जाना आवश्यक है। 

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