भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा पत्र में वादा किया था कि मप्र विघुत वितरण कम्पनी के संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए त्वरित कदम उठायेंगें और हर समस्या का निराकरण करेंगें। इधर अधिकारी नियमित करने की बजाए, उनको नौकरी से निकाल रहे।
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर एवं महासंघ के पदाधिकारियों ने भोपाल के रविन्द्र भवन स्थित अप्सरा रेस्टोरेंट में पत्रकार वार्ता आयोजित कर बताया कि भारतीय जनता पार्टी ने विधान सभा चुनाव 2013 के समय अपने घोषणा पत्र में लिखा था कि वह अपना घोषणा पत्र विकसित, समृद्व और खुशहाल मध्यप्रदेश के लिये समर्पित करती हैं और ये घोषणा पत्र नहीं हमारा जनसंकल्प है। भाजपा के इस जनसंकल्प, जिसको म.प्र. शासन के अधिकारियों को अक्षरषः पालन करना है, के 33 वे पृष्ठ पर उल्लेख किया गया है कि तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने के बाद म.प्र. विघुत वितरण कम्पनियों में कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों को त्वरित नियमित किया जायेगा। सरकार को दो वर्ष होने को आ रहे हैं, सरकार ने त्वरित नियमितीकरण करना तो दूर मप्र विघुत वितरण कम्पनी पष्चिम क्षेत्र इंदौर में कार्य करने वाले 11 संविदा कनिष्ठ यंत्री और सहायक यंत्रीं एवं म.प्र. विद्युत नियामक आयोग में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों को निकाल दिया।
प्रदेष में पूर्व क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, पष्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनियों में लगभग 5 हजार संविदा कनिष्ठ यंत्री, सहायक यंत्री, लाईन मेन, लाईन परिचालक, डाटाएन्ट्री आपरेटर कार्यरत हैं। भाजपा सरकार ने विधान सभा चुनाव के पूर्व अपने घोषणा पत्र में किये गये वादों के झांसे में आकर प्रदेष के सभी सवा दो लाख संविदा कर्मचारियों अधिकारियों, उनके परिवारों, और रिष्तेदारों ने वोट देकर तीसरी बार सरकार बनवाई। सरकार बनते से ही सरकार अपने वादे से पलट गई और नियमितीकरण करना तो दूर संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है।
अभी तक म.प्र. में अधिकारियों ने म.प्र. विघुत वितरण कम्पनी इंदौर के 11 संविदा इंजीनियर, म.प्र. विघुत नियामक आयोग के 18 संविदा कर्मचारी, म.प्र. योजना आर्थिक सांख्यिकी विभाग के 212 संविदा कर्मचारी, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिषन के 400 कर्मचारियों , मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के 150 तकनीकी सहायकों, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के 15 कर्मचारियों तथा जबलपुर मनरेगा की परियोजना अधिकारी रितू तिवारी की सेवाएं समाप्त कर दी हैं । सरकार के इस कृत्य से प्रदेष के सवा दो लाख संविदा कर्मचारियों अधिकारियों में आक्रोष है और वे अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर ने सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा है कि एक तरफ सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए उ़घोग स्थापित करने और निवेष करने की बड़ी-बड़ी बाते करती है, जिसके लिये मिडिया में बड़े - बड़े दावे और वादे किये जाते हैं । मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान कहते हैं कि में तुम्हारा मामा हुं किसी का चूल्हा नहीं बूझने दूंगा, हो रहा इसका उल्टा जो युवा रोजगार में लगे हैं उनको नौकरी से हटाया जा रहा है । यह सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है । महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर ने मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान से मांग करते हुये कहा है कि सरकार ने विधान सभा चुनाव 2013 के समय लिखित में घोषणा पत्र में जो वादा किया था उस पर अमल करते हुये म.प्र. विद्युत वितरण कम्पनियों में काम करने वाले संविदा कनिष्ठ यंत्रियों, सहायक यंत्रियों, लाईन मेनों, मीटर वाचकों, लाईन परिचालाकों सहित् प्रदेष के समस्त संविदा कर्मचारियों अधिकारियों को नियमित करे, नहीं तो प्रदेष की जनता आने वाले समय पर कैसे विष्वास करेेगी । महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर ने कहा कि म.प्र. विघुत वितरण कम्पनी पष्चिम क्षेत्र के 11 संविदा कनिष्ठ यंत्रियों और सहायक यंत्रियों, विद्युत नियामक आयोग में कार्य करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों को यदि 15 दिवस के अंदर वापस नहीं लिया तो प्रदेष व्यापी आंदोलन किया जायेगा । संविदा कर्मचारियों की बहाली को लेकर तथा घोषणा पत्र में किये गये वादे के अनुसार नियमित किये जाने की मांग को लेकर विद्युत वितरण कम्पनियों के संविदा कर्मचारी अधिकारी 15 दिवस तक काली पट्टी बांधकर कार्य करेगें और अपना विरोध प्रदर्षन करेंगें । महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर ने कहा है कि यदि सरकार ने 1 महीने में अपने घोषणा पत्र में किये गये वादे के अनुसार संविदा कर्मचारियों अधिकारियों के नियमितीकरण की कार्यवाही नहीं की गई तो प्रदेष के सवा दो लाख संविदा कर्मचारी अधिकारी चैराहों पर लाल बत्तियों पर खड़े होकर रूकने वाले राहगीरों और आम जनता को भाजपा के घोषणा पत्र की सच्चाई बतायेंगें ।