कलेक्ट्रेट ही नहीं RTO आफिस भी बनते थे फर्जी ड्रायविंग लाइसेंस

इंदौर। कलेक्टोरेट में फर्जी वोटर आईडी और राशन कार्ड बनाए जाने की खबरें लंबे समय से थी, लेकिन अब जाकर इसमें लिप्त कर्मचारियों और दलालों पर शिकंजा कसा गया है। क्राइम ब्रांच की इस कार्रवाई के बाद अब आरटीओ में भी फर्जीवाड़े की चर्चाएं तेज हो गई हैं। अधिकारी कई बार यहां अचानक निरीक्षण कर प्रक्रिया का जायजा ले चुके हैं, लेकिन सिलसिला सिर्फ निरीक्षण तक ही बना हुआ है। कई बार लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में चूक सामने आ चुकी है। मगर लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ी को लेकर बारीकी से जांच नहीं हो रही। आईनेक्स्ट ने जब पड़ताल की तो पता लगा कि कुछ एजेंट फर्जी तरीके से लाइसेंस बना रहे हैं। वे इसके लिए 2 हजार रुपए तक ले रहे हैं।

कुछ एजेंट्स ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि फर्जी लाइसेंस बनाने का काम बहुत पहले से अंदरुनी तौर पर चल रहा है। कुछ एजेंट के कारण सभी का नाम खराब हो रहा है। हर स्थिति में लाइसेंस बनाने के रेट तय हैं। अगर किसी के पास पहचान-पत्र भी नहीं होता, तब भी लाइसेंस बन जाता है। इस स्थिति में लाइसेंस के फॉर्म के साथ अन्य व्यक्ति का एड्रेस-प्रूफ लगा दिया जाता है। मगर लाइसेंस पर फोटो आवेदक की ही होती है।

कैबिन में आ-जा रहे एजेंट
आरटीओ में कर्मचारियों और अधिकारियों के कैबिन तक एजेंट बिना किसी रोक-टोक के घुस रहे हैं। विजयनगर आरटीओ में सुरक्षाकर्मी तैनात होने के बाद भी कई एजेंट लाइसेंस बनने वाले कक्ष तक पहुंच रहे हैं। लाइसेंस टेस्ट के समय भी कई एजेंट अंदर ही मौजूद रहते हैं।

पहचान वालों का होता है काम
फर्जी लाइसेंस बनाने की जानकारी किसी तरह लीक न हो जाए, इसका भी पूरा ध्यान एजेंट और कर्मचारी रखते हैं। बिना पते-ठिकाने के लाइसेंस बनवाने आए उन्हीं लोगों के काम हो रहे हैं जो एजेंट्स की जान-पहचान के होते हैं।

छापा पड़े तो सामने आए हकीकत
आरटीओ में मौजूद रहने वाले कुछ एजेंट्स का कहना है कि जिन एजेंट्स की अधिकारियों और कर्मचारियों से अ%छी बातचीत है, उनके काम किसी भी तरह हो जाते हैं। जो एजेंट नए हैं या जिनकी अंदर तक पहुंच कम है, वे अपना कमीशन लेकर लीगल तरीके से ही लाइसेंस बनवा रहे हैं। कई का कहना है कि कलेक्टोरेट की तरह अगर आरटीओ में भी अचानक छापा पड़े तो बड़ी गड़बड़ी सामने आ सकती है।

समझाइश दी है
कर्मचारियों व अधिकारियों को समझाइश दी है कि वे एजेंट्स से काम के सिलसिले में किसी भी तरह का व्यवहार न करें। अगर फिर भी किसी तरह की गड़बड़ी हो रही है तो बारीकी से जानकारी निकलवाकर कार्रवाई करेंगे।
एमपी सिंह, आरटीओ, इंदौर

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